रुद्रप्रयाग : उत्तराखंड में अगर किसी बच्चे को पूछा जाए कि वो बड़ा होकर क्या बनेगा तो उस बच्चे का भी एक ही जवाब होता है वो फौजी बनेगा. उत्तराखंड के कई युवा देश की रक्षा कर रहे हैं कइयों ने देश के लिए कुर्बानी दी है लेकिन फिर भी उत्तराखंडी अपने बच्चों को सेना में जाने के लिए कहते हैं. बात करें गढ़वाल रेजिमेंट का तो गढ़वाल रेजिमें का इतिहास गौरवशाली रहा है।
होटल की नौकरी छोड़ सेना में भर्ती हुए विपिन
आपको बता दें कि 159 नवप्रशिक्षित जवान बीते दिन पास आउट हुए. वहीं एक जवान ऐसा भी है जिसने कड़ी मेहनत के बाद सेना में नौकरी पाई जो की पहले होटल में नौकरी करता था. जी हां होटल में…होटल की नौकरी छोड़ सेना में भर्ती हुए उरोली गांव के विपिन सिंह भी इसका हिस्सा थे। बेटे के सेना में भर्ती होने पर परिजनों में ख़ुशी का माहौल था। शनिवार को गढ़वाल राइफल्स रेजिमेंट सेंटर के भवानी दत्त परेड ग्राउंड में 159 जवानों के साथ उत्तराखंड के गांव के रहने वाले विपिन ने भी शपथ ली। कसम परेड समारोह के दौरान पूरे प्रशिक्षण में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के लिए राइफलमैन विपिन को स्वर्ण पदक से नवाजा गया।
रुद्रप्रयाग जिले के रहने वाले है विपिन सिंह
विपिन सिंह राणा रुद्रप्रयाग जिले में जखोली ब्लॉक के गांव उरोली के रहने वाले हैं। पिता मोर सिंह राणा गांव में धियाड़ी मजदूरी करते हैं। मां रुकमणी देवी ग्रहणी हैं। घर में बड़े भाई उदय सिंह और एक छोटा भाई है। विपिन की चार बहिने हैं जिनकी शादी हो चुकी है। गोर्ती इंटर कॉलेज से इंटर की पढ़ाई कर विपिन होटल में जॉब करने चले गए लेकिन मन नहीं लगा तो फिर लौट आये और सेना में भर्ती होने के लिए गांव में प्रशिक्षण लेने लगे। कड़ी मेहनत के बाद भर्ती रैली में विपिन ने बाजी मार दी और फिर प्रशिक्षण के हर क्षेत्र में शानदार प्रदशर्न कर स्वर्ण पदक का सम्मान पाया।