उत्तराखंड शिक्षा विभाग में राजकीय शिक्षक संघ के द्वारा अपनी मांगों को लेकर जारी आंदोलन के कारण अब कई चीज प्रभावित होने लगी हैं। कई स्कूलों में जहां प्रभारी प्रधानाचार्य के रूप में कार्य कर रहे शिक्षकों के द्वारा अपना पद छोड़ दिया गया है तो वहीं खेल विभाग के द्वारा आयोजित हो रहे खेल महाकुंभ पर भी इसका सीधा असर पड़ रहा है।
प्रदेश के 90 प्रतिशत प्रभारी प्रधानाचार्य ने छोड़े पद
राजकीय शिक्षक संघ अपनी 33 सूत्रीय मांगो को लेकर लंबे समय से आंदोलनरत है। इसी के तहत प्रदेशभर के स्कूलों में 90% प्रभारी प्रधानाचार्यों ने अपने पद छोड़ दिए हैं। जिस से प्रदेश के सैंकड़ों स्कूलों में कामकाज प्रभावित हो रहा है।
वहीं जिन शिक्षकों के द्वारा खेल विभाग के द्वारा आयोजित होने वाले खेल महाकुंभ में शिरकत कर खेल महाकुंभ को पूरा करवाया जाना था उनके द्वारा खेल महाकुंभ में शिरकत न किए जाने की वजह से खेल महाकुंभ की आयोजन पर ब्रेक लग गया है।
शिक्षा महानिदेशक ने जारी कर दिया ये आदेश
शिक्षकों के द्वारा अपनी मांगों को लेकर जो कड़क रवैया अपनाया गया है उस पर शिक्षा विभाग ने भी कड़क आदेश जारी किया है। शिक्षा महानिदेशक बंशीधर तिवारी के द्वारा जारी आदेश में शिक्षकों को कर्मचारी आचरण नियमावली कोई याद दिलाया गया है।
वेतन में हो सकती है कटौती
प्रभारी प्रधानाचार्य जो अपना पद छोड़ चुके हैं उनके वेतन कटौती की भी बात सामने आ रही है। लेकिन राजकीय शिक्षक संघ का साफ तौर से कहना है कि शिक्षकों का अपनी मांगों को लेकर जो आंदोलन था उस आंदोलन के चरण पूरे हो चुके हैं। अब केवल शिक्षक शैक्षणिक कार्य ही करेंगे उसके अलावा कोई और कार्य नहीं करेंगे।
बता दें कि उत्तराखंड शासन के द्वारा खेल महाकुंभ हो या निर्वाचन समेत कई ऐसी जिम्मेदारियां शिक्षकों के द्वारा न कराए जाने को लेकर पूर्व में आदेश जारी हो चुके है। शिक्षकों का कहना है कि वो उसी आदेश का अनुपालन कर रहे हैं। प्रभारी प्रधानाचार्ययों के द्वारा पद छोड़े जाने पर उनके वेतन पर रोक लगाने की बात पर शिक्षकों का कहना है कि विभाग वेतन नहीं काट सकता है क्योंकि शिक्षकों की उपस्थिति स्कूल में है और वो शैक्षणिक कार्य कर रहे हैं।
प्रभार होता है क्षणिक समय के लिए
शिक्षकों का कहना है कि प्रभार क्षणिक समय के लिए होता है। चाहे वो 15 दिन या एक महीने का हो। जबकि शिक्षा विभाग में पांच से सात साल तक भी कई स्कूलों में प्रभारी प्रधानाचार्य कम कर रहे हैं। जिन प्रभारी प्रधानाचार्ययों के द्वारा अभी तक पद नहीं छोड़े गए हैं और वह राजकीय शिक्षक संघ के सदस्य हैं तो उनसे भी स्पष्टीकरण मांगा जाएगा और यदि संतोषजनक जवाब उनके द्वारा नहीं दिया जाता है तो उनको संगठन से बाहर की भी कार्रवाई की जाएगी।
शिक्षकों के आंदोलन से खेल विभाग परेशान
ऐसा नहीं है कि शिक्षा विभाग ही शिक्षकों के अपनी मांगों को लेकर आंदोलन से परेशान है खेल विभाग भी शिक्षकों के आंदोलन से परेशान है। आंदोलन की वजह से खेल महाकुंभ के आयोजन पर ब्रेक लग गया है। खेल मंत्री रेखा आर्य का कहना है कि खेल और शिक्षा का स्तर एक समान ऐसे में शिक्षकों के द्वारा खेल महाकुंभ के आयोजन में शामिल न होना दुर्भाग्यपूर्ण है।
खेल मंत्री का कहना है कि अगर शिक्षक केवल शैक्षिक कार्य करने को ही अपनी जिम्मेदारी समझ रहे हैं तो खेल भी छात्रों के शैक्षणिक का ही एक पार्ट है क्योंकि एक छात्रा के लिए शारीरिक रूप से फिट होना बेहद जरूरी है। जिसके लिए खेल महाकुंभ का आयोजन किया जाता है। शिक्षकों के इस रूख से खेल हतोत्साहित हो रहा है। ऐसे में वो मुख्य सचिव से पत्राचार करने जा रही हैं ताकि जो स्थिति उत्पन्न हुई है उससे दूर किया जाए।