हम अपना 75वां गणतंत्र दिवस मना रहे हैं। इस साल के समारोह में फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों मुख्य अतिथि हैं। यह गणतंत्र दिवस खासकर महिलाओं को केंद्रित हैं। इस बार के गणतंत्र दिवस की झांकी, परेड और थीम के केंद्र में महिलाएं हैं। सबसे बड़ा बदलाव तीनों सेनाओं की एक महिला टुकड़ी का मार्च हैं। इसमें थल सेना की ओर से इस मार्च का नेतृत्व कैप्टन शरण्या राव कर रही है। कैप्टन शरण्या राव ने कहा कि, मैं थलसेना की टुकड़ी का नेतृत्व कर रही हूं। मेरे लिए यह गर्व की बात है, क्योंकि ऐसा इतिहास में पहली बार हो रहा है। इस परेड में भाग लेने के लिए फ्रांस से एक मार्चिंग दस्ता और एक बैंड दल भी भारत आया। इसमें कहा गया है कि छह भारतीय फ्रांसीसी दस्ता का हिस्सा हैं। आइये जानते हैं।
कैप्टन शरण्या राव के लिए गर्व की बात
महिला आधारित गणतंत्र दिवस थीम के तहत परेड में पहली बार महिलाओं की त्रि-सेवा टुकड़ी भी कर्तव्य पथ पर मार्च करती हुई दिखाई दे रही हैं। इसमें कैप्टन शरण्या राव थलसेना की टुकड़ी का नेतृत्व कर रही हैं। शरण्या राव वर्तमान में भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट के पद पर तैनात हैं। वह कर्नाटक के कोडागु जिले की रहने वाली हैं।

फ्रांस की सेना में भारतीय कौन?
75वें गणतंत्र दिवस की परेड में फ्रांस की 95 सदस्यीय मार्चिंग टीम और 33 सदस्यीय बैंड दल भी शिरकत कर रहा है। भारतीय वायु सेना के विमानों के साथ एक मल्टी रोल टैंकर ट्रांसरपोर्ट विमान और फ्रांसीसी वायुसेना के दो राफेल लड़ाकू जेट भी फ्लाई-पास्ट में हिस्सा लेंगे। इस फ्रांसीसी दल में छह भारतीय भी हैं। इनमें सीसीएच सुजन पाठक (हेड कॉर्पोरल), सीपीएल दीपक आर्य (कॉर्पोरल), सीपीएल परबीन टंडन (कॉर्पोरल), गुरवचन सिंह (फर्स्ट क्लास लीजियोनेयर), अनिकेत घर्तिमागर (फर्स्ट क्लास लीजियोनेयर) और विकास डीजेसेगर (फर्स्ट क्लास लीजियोनेयर) शामिल हैं।सभी लोग भारत आकर काफी सम्मानित महसूस कर रहे हैं।
फ्रांस की सेना में भारतीय क्यों?
दरअसल, फ्रांस में विदेशी सेना की एक कोर होती है जिसका नाम फ्रेंच फॉरेन लीजन है। 1831 में स्थापित की गई फ्रेंच फॉरेन लीजन को फ्रेंच सेना का एक अभिन्न अंग माना जाता है। फ्रांसीसी मार्चिंग दल के कमांडर कैप्टन नोएल लुइस ने कहा कि यह विशिष्ट सैन्य कोर विदेशियों के लिए फ्रांसीसी सेना में कुछ शर्तों के साथ सेवा करने का मौका देते हैं। वर्तमान में इसमें 9,500 अधिकारी और सेनापति हैं। इस कोर में दुनियाभर से लगभग 140 देशों के लोग हैं।