उत्तरकाशी- बरसात ने सूबे के पहाड़ी जिलों में खेती का भूगोल बिगाड़ कर इतिहास बना दिया। तकरीबन सारे पहाड़ी जिलों में आपदा ने अपना कहर बरपाया किसी को भी नही बख्शा। रियाहशी इलाके हों या खेत खलिहान सब पर बादल गरजे।
नगदी फसल और बागवानी वाले जिले उत्तरकाशी की बात करें तो यहां इस बरसात नें सात करोड़ से ज्यादा की नगदी फसल को नुकसान पंहुचाया है। हालांकि इस बार जिले में बादल फटने की घटना तो नही हुई लेकिन अतिवृष्टी ने खेतों में खड़ी फसल को लील लिया।
एक अनुमान के मुताबिक जिले में 370 हेक्टेयर खड़ी फसल पर बारिश ने अपना कहर बरसाया है। कई गांव भारी बारिश की वजह से भूस्खलन की चपेट में आ गए जिससे बचा खुचा बागवानी उत्पादन मडियों तक नही पहुंचाया जा सका। जिले की रवाई घाटी का उत्पादन दिल्ली की मदर डेयरी को अपनी सब्जी और फलों से गुलजार रखता था लेकिन इस बार ऐसा होना मुमकिन नही है। यमुना घाटी के खेतों में खड़ी शिमला मिर्च,टमाटर,गोभी और फ्रेंचबीन की फसल क्या खेत तक तबाह हो गए हैं। जबकि पिछले साल पूरे अगस्त महीने तक दिल्ली की मंडियों में यहां की नगदी फसल गई थी। ऐसे में दरकार है सरकार से ताकि जंगली जानवरों और आपदा से सताए किसानों की जिंदगी फिर से पटरी पर लौट सके।