देहरादून- एमडीडीए को अपनी जेब में समझने वाले रसूखमंद बिल्डर्स की हेकड़ी पाण्डेय राज में अब शायद निकल गई होगी। जी हां मसूरी देहरा विकास प्राधिकरण ने देहरादून मे 69 बिल्डर्स को डिफॉल्टर घोषित कर दिया है।
दरअसल हाऊसिंग प्रोजेक्ट से करोड़ों कमाने की फिराक में बैठे फन्नेखां बिल्डर्स MDDA के शेल्टर फंड के फरमान को अपनी हनक से हल्के में ले रहे थे।
लेकिन शायद उन्हें ये भान नहीं था कि अब तक कायदे कानून को अलमारी में संभालने के लिए बदनाम हो चुका एमडीडीए बदल चुका है। अपने पुराने ढर्से से तो प्राधिकरण उसी दिन उतर गया था जिस दिन सीएम टीएसआर ने प्राधिकरण की जिम्मेदारी अपने काबिल ऑफिसर विनय शंकर पाण्डे को सौंपी थी।
बहरहाल एमडीडीए के उपाध्यक्ष पाण्डे ने डिफाल्टर घोषित किए सभी 69 बिल्डर्स को एक पखवाड़े की मोहलत दी है। मतलब 15 दिन के भीतर बिल्डर्स ने शेल्टर फंड का पैसा जमा करवा दिया तो ठीक वरना 16 वें दिन से उनके निर्माण को अवैध घोषित करते हुए सील कर दिया जाएगा। इतना ही नहीं प्राधिकरण डिफॉल्टर बिल्डर को काली सूची में डालकर देश-विदेश में भी उसके कारनामों के लिए मशहूर कर देगा।
बहरहाल एमडीडीए की इस बड़ी कार्यवाही से साबित हो रहा है कि जीरो टॉलरेंस की बात करने वाले सीएम टीएसआर ने सोच समझकर ही अपने काबिल अफसर विनय शंकर पांडेय को बदनाम एमडीडीए की जिम्मेदारी दी है ताकि आने वाले वक्त में कोई प्राधिकरण पर सवालिया निशान न लगा सके। काबिलेगौर बात ये है कि अपनी इस कार्रवाई में एमडीडीए ने कोई भेदभाव नहीं किया और न ही किसी ऊंची सियासी पहुंच वाले बिल्डर्स को बख्शा। फिर चाहे वो सत्ता के करीबी माने जाने वाले उमेश अग्रवाल हों या अपने आपको समाजसेवी बताने वाला विंडलास ग्रुप।
गौरतलब है कि डिफॉल्टर बिल्डर्स पर शेल्टर फंड का तकरीबन 20 करोड़ रूपया बकाया है। बिल्डर इस फंड को जमा करेंगे तो सरकार बेघरों को घर देने की योजना पर बेहतर तरीके से काम कर सकती है।