देहरादून- देहरादून- एक ओर सरकार जीरो टॉलरेंस के दावे कर रही है दूसरी ओर सड़क निर्माण में दिलचस्पी रखने वाली कंपनियों का आरोप है कि पीएमजीएसवाई के टेंडर में भारी अनियमितता बरती गई है और नियमों का उल्लंघन करते हुए चेहते ठेकेदार को फायदा पहुंचाने का काम किया गया है।
दरअसल प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत टिहरी गजा से मांडा तक सवा छह करोड़ की सड़क के टेंडर पर इतना विवाद हुआ कि मामला अब हाईकोर्ट पहुंच गया है। लेकिन आरोप है कि विभाग ने इस कार्य के लिए टेंडर में आई कुल 11 कंपनियों में से नौ को तकनीकी खामी गिनाते हुए बाहर कर दिया है। लेकिन जिसको टेंडर आवंटित हुआ था उसने भी तकनीकी गलती की थी बावजूद उसके उसे काम दे दिया गया।
कंपनियों का आरोप है कि जिन कमियों को गिनाते हुए उन्हें बाहर किया गया है, उससे अधिक कमियां चयनित कंपनी के आवेदन में हैं। सवा छह करोड़ की इस सड़क का काम पूर्व भाजपा सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे मातवर सिंह कंडारी के बेटे राजीव कंडारी को मिला है। हालांकि अब मातवर सिंह कंडारी कांग्रेस पार्टी में हैं।
शिकायत है कि टेंडर विज्ञापन में स्पष्ट रूप से ठेकेदारों से नैनो टैक्नोलॉजी के कार्य का अनुभव शपथ पत्र में मांगा गया था। जबकि जिस कंपनी को ये काम दिया गया है, उसकी ओर से प्लेन पेपर पर ब्यौरा दिया गया है। इसके बाद भी चयन किया गया। दूसरी ओर इसी आधार पर शेष कंपनियों के आवेदन निरस्त किए गए। चालू योजनाओं का ब्यौरा देने के साथ ही अधिशासी अभियंता के काउंटर साइन कराए जाने थे। ये प्रमाण पत्र भी तय फार्मेट में नहीं दिया गया। इम्प्लाई प्रोविडेंट फंड का पंजीकृत प्रमाण पत्र देना था, जोकि नहीं दिया गया। इसके बाद भी आवेदन को निरस्त नहीं किया गया और उस कंपनी को काम दे दिया गया।
6 करोड़ के टेंडर में हिस्सा ले रही कंपनियों की मांग है कि विभाग सभी निविदाओं को निरस्त कर दोबारा से टेंडर निकाले। वहीं प्रधानमंत्री सड़क योजना के सीईओ राघव लंगर ने भी स्वीकार किया कि उन्हें भी इस बारे में शिकायतें मिली हैं। वहीं लंगर ने कहा कि मामले की जांच करवाई जा रही है और यदि किसी भी तरह की अनियमितता पाई गई और आरोप सही पाए गए तो संबंधित अधिकारियों के खिलाफ एक्शन लिया जाएगा।