रुद्रप्रयाग- उत्तराखंड के लिए पिछले कई सालों से मानसून भारी दिक्कत लेकर बरस रहा है। पहाड़ों में भूस्खल की तकलीफ तो मैदान में जलभराव की परेशानी से जनता दो चार हो रही है। रूद्रप्रयाग के आखिरी गांव गौंडार पिछले तीन महिनों से अंधियारी रात काटने को मजबूर है। दरअसल मानसूनी सीजन में गौंडार मे भारी बारिश हुई और उसकेचलते इस गांव के लिए बिजली का इंतजाम करने वाली उरेडा की जल विद्युत परियोजना को पानी देने वाली नहर क्षतिग्रस्त हो गई। अब आलम ये है कि कार्यदायी संस्था नहर पुनर्निर्माण की हिम्मत नहीं जुटा पा रही है। जिसके कारण गौंडार के 75 परिवार उजाले के देशी इंतजामों के साथ हर रात अंधेरे के साथ बिता रहे हैं।
बताया जा रहा है कि 20 मई को इलाके में भारी बारिश हुई जिसकी वजह से गांव और वणतोली के बीच चट्टान भूस्खलन की चपेट में आ गई और उसके धंसने से गांव के लिए बनी 100 किलोवाट की जल विद्युत परियोजना की नहर के पाइप टूट गए। नतीजतन परियोजना के लिए धाराप्रवाह पानी नही मिलने से बिजली बनाने के लिए लगाई गई 50-50 किलोवाट की दोनो टरबाइन खड़ी हो गई।
मई मे हुई बारिश से नुकसान हुआ लेकिन कार्यदायी संस्था के हाल देखिए आज अगस्त का आखिरी दिन है लेकिन संस्था हाथ पर हाथ धरे बैठी हुई है हरकत में आने का नाम तक नही ले रही है। संस्था का कहना है कि जिस मोरकंडा नदी के पानी से गौंडार के लिए बिजली बनाई जाती है उसका जलस्तर बढा हुआ है लिहाजा काम नही हो सकता। जबकि उरेडा की ओर से कहा जा रहा है कि परियोजना की मरम्मत के खर्चे का इस्टीमेट शासन को भेज दिया गया था लेकिन अभी तक कोई जवाब नही मिला है। तय है कि बिजली परियोजना की मरम्मत पर बरती जा रही कोताही स्थानीय ग्रामीणों पर भारी पड़ रही है। देखना ये है कि गौडार गांव में कब तक हाकिमों की मेहरबानी से अंधेरा कायम रहता है। कहीं ऐसा न हो की अंधेरे से उकताए ग्रामीण चुनावी साल मे सड़क पर उतर कर विद्रोह का बिगुल फूंक दें, सावधान ।