चमोली- तालीम को इस राज्य में सरकारी मोटी पगार लेने वालों ने तमाशा बना दिया है पहाड़ी क्षेत्र के सरकारी स्कूलों में अव्यवस्था की हद हो गई है लेकिन राज्य का शिक्षा महकमा हरकत में नही आता। सूबे की पहाड़ियों पर शिक्षा विभाग ने कितना कहर बरपा रखा है इसकी बानगी दिखती है चमोली जिले के घाट ब्लॉक के राजकीय इंटर कॉलेज सितेल में ।
राजकीय इंटर कालेज सितेल में शिक्षा के सरकारी इंतजाम का हाल देखिए- जहां 11वीं और 12 वीं में 290 छात्र-छात्राओं को प्रवेश दिया गया है लेकिंन उनके लिए एक भी मास्टर तैनात नहीं किया है। साल 2012-13 में इसे शिक्षा विभाग ने सितेल हाईस्कूल का उच्चीकरण करते हुए इसे इंटर कॉलेज बनाया था। जिसके चलते इस कॉलेज में दर्जा 11वीं और 12 वीं में आस-पास के करीब 290 छात्र-छात्राओं ने प्रवेश लिया इस हसरत के साथ कि अब उन्हें पढ़ने के लिए दूर नहीं जाना पड़ेगा। लेकिंन उनकी इस हसरत पर राज्य का शिक्षा विभाग पानी फेर रहा है।
चमोली जिले के घाट विकासखंड के दुर्गम क्षेत्र सितेल में स्थित इस इंटर कॉलेज के लिए उच्चीकरण के समय शिक्षकों के 9 पद स्वीकृत हुए थे। लेकिन 3 साल बीत चुके हैं शिक्षा विभाग इन तीन सालों में इतनी हिम्मत नहीं बटोर पाया कि यहां मोटी पगार पाने वाले मास्टरों को तैनात करवा सके। जबकि शिक्षा विभाग अभिभावकों को लिखित रूप में 5 मास्टरों तैनाती का भरोंसा दिला चुका है। लेकिंन अपने कारिंदों को तैनात नहीं कर पाया। हालांकि आदेश हुए लेकिंंन महकमे के ठेंगे पर रखने वाले अध्यापको मे से सिर्फ एक ने ही विद्यालय के दर्शन किए। इतिहास पढाने के लिए सितेल इंटर कॉलेज मे आने वाले अध्यपक एक रात गांव में रूके और दूसरे दिन बीमारी की बात कर वापस चले गए। बताया गया कि इतिहास पढाने वाले शिक्षक महोदय ने मेडिकल अवकाश ले लिया है।
सितेल के राजकीय इंटर कालेज मे छात्र-छात्राएं महज खानापूर्ति और फीस देने के लिए ही विद्यालय जा रहे हैं। हाईस्कूल स्तर के शिक्षक उन्हें स्वयं किताबें पढ़ने का निर्देश देकर किसी तरह विद्यालय का संचालन कर रहे हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि इन छात्र-छात्राओं का भविष्य क्या होगा? लेकिन इसकी किसी को फिक्र नहीं। हालांकि अब बात हो रही है कि जल्द ही अतिथि शिक्षकों को सितेल इंटर कॉलेज में तैनाती दी जाएगी। अपने बच्चों के भविष्य के प्रति सरकारी गैरजिम्मेदारान रवैया देख अभिभावक आंदोलन का मूड बना रहे हैं। तय है कि आने वाले दिनों में अगर विद्यालय में शिक्षकों का इंतजाम न हुआ तो सड़कों पर विद्रोह का सैलाब उमड़ पड़ेगा।