बंगलुरू: एक बस कंडक्टर की कहानी हर किसी को प्रेरित कर रही है। उनका नाम है मधु एनसी। 29 साल के मधु बीएमटीसी में बस कंडक्टर हैं। लेकिन, सपना हमेशा प्रशासनिक सेवा में आने का रहा। अपने इस सपने को पूरा करने की दिशा में मधु ने 2014 से कदम बढ़ाने शुरू किए। 2014 में मधु कर्नाटक प्रशासनिक सेवा परीक्षा में शामिल हुए, लेकिन असफल रहे। 2018 में भी संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा में उन्हें सफलता नहीं मिली। पर इस बार मधु यूपीएससी की प्रारंभिक और मुख्य दोनों परीक्षाओं में सफल हो चुके हैं। अब बारी है साक्षात्कार की, जो 25 मार्च को होगा। फिलहाल मधु अपने साक्षात्कार की तैयारियों में जुटे हैं।
मधु एनसी रोजाना आठ घंटे बस में कंडक्टर की नौकरी करते हैं। पूरा दिन बस में खड़े रहकर पूरी ईमानदारी से अपना काम करते रहना मधु के लिए थकान भरा भी हो जाता है। लेकिन उन्होंने कभी नौकरी नहीं छोड़ी। न ही इसका बहाना लेकर कभी सिविल सेवा की तैयारी में रुकावट पड़ने दी। नौकरी के बाद समय निकालकर मधु रोजाना करीब पांच घंटे पढ़ाई करते रहे। पॉलिटिकल साइंस, इंटरनेशनल रिलेशंस, एथिक्स और लैंग्वेज समेत अन्य विषयों की अच्छी तरह तैयारी की, क्योंकि मुख्य परीक्षा के लिए उन्होंने पॉलिटिकल साइंस और इंटरनेशनल रिलेशंस का ही विकल्प चुना था।
यूपीएससी की प्रारंभिक परीक्षा तो उन्होंने कन्नड़ भाषा में दी। लेकिन, मुख्य परीक्षा के लिए अंग्रेजी का चुनाव किया।सिविल सेवा की तैयारी में मधु की मदद उनकी वर्तमान बॉस आईएएस अधिकारी सी. शिखा ने की। सी शिखा अभी बंगलुरू मेट्रोपॉलिटन ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन की प्रबंध निदेशक हैं। मधु कहते हैं कि प्रारंभिक में सफल होने के बाद, मुख्य परीक्षा के लिए सी. शिखा ने हर सप्ताह उन्हें दो घंटे पढ़ाया। समझाया की परीक्षा में उत्तर किस तरह लिखने चाहिए। इतना ही नहीं, वह अब मधु को साक्षात्कार के लिए भी तैयार कर रही हैं।