नई दिल्ली : भारतीय संसद के उच्च सदन राज्यसभा ने अपना 250वां सत्र पूरा कर लिया है। लोकसभा और राज्यसभा हमारे देश में दो सदनीय प्रणाली है। दुनिया के विकसित देश अमेरिका और ब्रिटेन की संसदीय प्रणाली भी दो सदन वाली है। अमेरिका में इसे कांग्रेस और सीनेट कहा जाता है तो, ब्रिटेन में हाउस ऑफ लार्ड्स और हाउस ऑफ कॉमन्स नाम के दो सदन हैं। 1952 में अपने गठन से लेकर अब तक इस राज्य सभा विधि निर्माण में अहम योगदान दिया है। भारतीय राजनीति के उच्च सिद्धांतों और संघीय मूल्यों के अनुसार यह आज भी अपने कर्तव्य का निर्वहन कर रही है। तीन अप्रैल 1952 को इस सदन का गठन हुआ था और 18 नवंबर 2019 को इसने अपना 250वां सत्र पूरा किया है।
राज्य सभा की संरचना
काउंसिल ऑफ स्टेट्स को ही राज्य सभा भी कहा जाता है। यह एक ऐसा नाम है जिसकी घोषणा सभापीठ द्वारा सभा में 23 अगस्त, 1954 को की गई थी। इसकी अपनी खास विशेषताएं हैं। भारत में द्वितीय सदन का प्रारंभ 1918 के मोन्टेग-चेम्सफोर्ड प्रतिवेदन से हुआ। भारत सरकार अधिनियम, 1919 में तत्कालीन विधानमंडल के द्वितीय सदन के तौर पर काउंसिल ऑफ स्टेट्स का सृजन करने का उपबंध किया गया जिसका विशेषाधिकार सीमित था और जो वस्तुत: 1921 में अस्तित्व में आया था।
गवर्नर-जनरल तत्कालीन काउंसिल ऑफ स्टेट्स का पदेन अध्यक्ष होता था। भारत सरकार अधिनियम, 1935 के माध्यम से इसके गठन में शायद ही कोई परिवर्तन किए गए। संविधान सभा, जिसकी पहली बैठक 9 दिसंबर 1946 को हुई थी, ने भी 1950 तक केंद्रीय विधानमंडल के रूप में कार्य किया, फिर इसे ‘अनंतिम संसद’ के रूप में परिवर्तित कर दिया गया। इस अवधि के दौरान, केंद्रीय विधानमंडल जिसे ‘संविधान सभा’ (विधायी) और आगे चलकर ‘अनंतिम संसद’ कहा गया, 1952 में पहले चुनाव कराए जाने तक, एक-सदनी रहा।
राज्यसभा का सफर
- अपने गठन से अबतक राज्यसभा में 5,466 दिन काम हुआ है।
- उच्च सदन ने 3,818 कानून पारित किए हैं।
- अब तक 2,282 लोग इस सदन में चुने जा चुके हैं।
- तीन सदस्य छह बार राज्यसभा के सांसद चुने गए
- पहले सत्र में 216 सदस्य शामिल थे। इनमें 15 महिलाएं और 12 नामित सदस्य थे।
- वहीं वर्तमान सत्र में 250 सदस्य हैं। इनमें 25 महिलाएं और 12 नामित सदस्य हैं।