देहरादून- सूबे में जच्चा-बच्चा की सेहत के लिए अब महत्वपूर्ण कड़ी बन चुकी आशा कार्यकत्रियों का धैर्य 22 दिन के धरने के बाद आज टूट गया। 23 वें दिन अपनी सात सूत्रीय मांग को लेकर सरकार से निराश आशाओं ने सचिवालय की ओर कूच किया। इस दौरान आशाओं और पुलिस कर्मियों के बीच नोक-झोंक भी हुई। आशाओं का दो टूक ऐलान है कि जब तक सरकार उनकी 7 सूत्रीय मांगों पर अमल नहीं करती वे इसी तरह से आंदोलन करती रहेंगी।
आलम ये है कि आशाओं की प्रांतीय अध्यक्ष शिवा दूबे की माने तो जब तक सरकार उनकी मांगें नहीं मान लेती तब तक सभी आशा कार्यकत्री सचिवालय के बाहर डटी रहेंगी चाहे उन्हें गिरफ्तारी ही क्यों न देनी पड़े। बहरहाल आपको बता दें कि साल 2012 में आशाओं को सालाना 5000 रुपए बोनस देने की बात पर सरकार सहमत हुई थी। लेकिन अब तक आशाओं को बोनस नहीं मिला। आशाओं की माने तो उन्हें सराकर जल्द से जल्द बोनस दे और उनके लिए एक नियमित मानदेय तय करने के साथ ही दुर्घटना बीमा की राशि को 5 लाख रुपए तय करे।