नई दिल्ली: 2014 के लोकसभा चुनाव में काला धन सबसे बड़ा मुद्दा था, लेकिन 2019 के चुनाव आते-आते काले धन का मुद्दा ही गायब हो गया। मुद्दा जरूर गायब हो गया, लेकिन धन 2014 से लेकर 2019 आते-आते और काला हो गया। इस बार के लोकसभा चुनाव में कालेधन ने सारे रिकार्ड तोड़ दिए हैं। चुनाव आयोग के फ्लाइंग स्क्वॉड की छापेमारी में देश के कई राज्यों से चुनाव आयोग ने करोड़ों जब्त किए। अभी तक चुनाव आयोग ने कुल 3439 करोड़ रुपये जब्त करके नया रिकॉर्ड बनाया है। इससे पहले किसी भी लोकसभा चुनाव में इतना कैश नहीं पकड़ा गया।
साल 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में कुल 1200 करोड़ रुपये का कैश बरामद किया गया था। लेकिन, इस चुनाव में लगभग इससे तीन गुना कैश बरामद हो चुका है। तमिलनाडु से मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक लोकसभा चुनाव में तमिलनाडु से सबसे ज्यादा रुपये बरामद किए गए। तमिलनाडु से अभी तक 950 करोड़ रुपये जब्त हुए हैं। गुजरात भी इस लिस्ट में दूसरे नंबर पर है।चुनाव आयोग के फ्लाइंग स्क्वॉड ने यहां से 552 करोड़ रुपये जब्त किए। जबकि दिल्ली से 426 करोड़ रुपये पकड़े गए।
चुनाव शुरू होते ही काला धन बाहर आने लगता है। कालेधन का सबसे ज्यादा इस्तेमाल चुनाव में ही किया जाता है। इसे रोकने के लिए चुनाव आयोग एक खास दस्ता तैयार करता है, जो चुनाव के दौरान बिना किसी रसीद या सोर्स के घूम रहे कैश को पकड़ता है। चुनाव के दौरान इतने करोड़ काला धन पकड़ा जाता है, तो इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि देश में कितना ज्यादा काला धन मौजूद है। यह भी सोचने वाली बात है कि 2014 में काले धन पर के मुद्दे पर चुनाव जीतने वाली भाजपा सरकार के कार्यकाल में कालेधन का एक नया रिकार्ड ही खड़ा हो गया।