देहरादून : उत्तराखंड में आए दिन उप निरक्षकों के प्रमोशन की खबर आती है लेकिन कर्मचारियों को ऐसी ही दूसरों के प्रमोशन की खबर लड्डू खाने होते हैं लेकिन खुद वो इस आस में बैठे हैं और ड्यूटी कर रहे हैं कि सरकार और विभाग उनकी ओर भी ध्यान देगा और उनका प्रमोशन होगा लेकिन वो कई सालों ने नहीं हो पा रहा है। उत्तराखंड पुलिस विभाग में पुलिस आरक्षी की पदोन्नति 30 साल की सेवा करने के बाद भी नहीं हो पाया है। अधिकारियों जैसे दारोगा और इंस्पेक्टर की पदोन्नति होने पर जहां एक स्टार बढ़ता है ओहदा बढ़ता है तो वहीं वेतन में भी बढ़ोतरी होती है लेकिन कर्मचारी जो कई सालों से दारोगाओं, इंस्पेक्टरों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रहे हैं, ड्यूटी कर रहे हैं उनका ना तो कई सालों से प्रमोशन हुआ और न ही एक पैसा बढ़ा। वहीं अब नाराज होकर याचिका दायर की गई है जिस पर सुनवाई होनी है।
कई सालों की नौकरी करने के बाद भी नहीं दिया गया प्रमोशन
आपको बता दें कि सशस्त्र पुलिस में 2004 तक प्रमोशन प्रक्रिया चल रही है।वहीं पीएससी में 2009 तक प्रमोशन प्रक्रिया चल रही है। ना. पु. में 1995 तक की प्रमोशन प्रक्रिया क्यों चल रही है। नियम के तहत नागरिक पुलिस में भी प्रमोशन प्रक्रिया 2004 तक होनी चाहिए। ना.पु. ,सशस्त्र पुलिस पीएसी के नियमावली में भी कहीं भी अंकित नहीं है कि ना.पु. प्रमोशन सशस्त्र पुलिस और पीएसी के बाद किया जाएगा। अगर नागरिक पुलिस के जवानों को अपने बैच में प्रमोशन नहीं मिला तो उनका मनोबल गिरेगा और विभाग के प्रति उदासीनता का भाव उनके मन में रहेगा। सवाल एक ही है नागरिक पुलिस के जवानों आरक्षी का प्रमोशन 2004 तक क्यों नहीं किया जा रहा है। कई सालों की नौकरी करने के बाद उनको प्रमोशन नहीं दिया गया।
सरकार पर सिपाहियों की अनदेखी का आरोप
उत्तराखंड पुलिस के पहले सिपाही बैच ने 10 अक्टूबर 2020 को 19 साल का कार्यकाल पूरा करलिया है लेकिन अभी 19 साल के बाद भी वो जस के तस हैं। उनका प्रमोशन नहीं किया गया जिस कारण सिपाही नाराज हैं। उनका कहना है कि सरकार और विभाग सिपाही की अनदेखा कर रहा है। उनका कहना है कि अधिकारियों के प्रमोशन समय से पहले किया जाता है लेकिन सिपाहियों पर किसी का ध्यान नहीं जाता तो दिन रात ड्यूटी करते हैं। दारोगा के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलते हैं। आखिर सिपाहियों के साथ भेदभाव क्यों?
सिपाहियों को गुजरना होता है कई मापदंड़ों से
सवाल उठाया जा रहा है कि सिपाहियों के साथ भेदभाव क्यों एक ओर दारोगा, इंस्पेक्टरों से लेकर बड़े बड़े रैंक अधिकारियों का प्रमोशन सीनियरटी के आधार पर होता है लेकिन सिपाहियों को कई मापदंड़ों से गुजरना होता है। सिपाहियों को प्रमोशन के लिए 5 किलोमीटर की दौड़ लगानी पड़ती है। इतना ही नहीं कई प्रक्रियाओं से गुजरने के बाद अभिलेखों के जांच भी की जाती है जैसा की भर्ती के समय होता है। कहना है कि 2016 में 4600 ग्रेड पर लग जाना चाहिए था लेकिन नहीं लगाया गया। आखिर भेदभाव क्यों?
याचिका दायर
वहीं बता दें कि इसके खिलाफ याचिका दायर की गई है। पुलिस सेवा नियमावली 2018 संसोधन के विरुद्ध याचिका दायर मामले की सुनवाई कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एवं रविंद्र मैथानी की बेंच में होगी सुनवाई, जिस प्रकार से उत्तराखंड पुलिस विभाग द्वारा हाल ही में पुलिस सेवा नियमावली 2018 संसोधन सेवा नियामवली 2019 लागू की गई है।