उत्तरकाशी : माता-पिता, परिवार के बाद शिक्षक ही होता है जो बच्चों को सही मार्ग दिखाता है औऱ सही राह पर चलते हुए बच्चे की, छात्र-छात्राओं को उसकी मंजिल तक पहुंचाने में मदद करता है. एक शिक्षक किसी बच्चे की जिंदगी में माता-पिता के समान अहम रोल अदा करता है. जहां पहाड़ों में शिक्षक स्कूल से गायब रहते हैं और शिक्षा व्यवस्था को ऐसे शिक्षकों ने अपाहिच बना दिया है ऐसे में एक शिक्षक ऐसा है जिसके ट्रांसफर पर बच्चे ही नहीं बल्कि पूरा गांव रोया.
जी हां सोशल मीडिया पर बीते दिन कुछ तस्वीरे तेजी से वायरल हो रही हैं जिनमे बच्चे औऱ गांव वाले फूट-फूट कर रो रहे हैं और वो भी सिर्फ इसलिए क्योंकि एक युवा शिक्षक का ट्रांसफर वहां से हो गया है.
तस्वीरें सोशल मीडिया पर चर्चाओं का विषय
आपने भी तस्वीरे सोशल मीडिया पर जरुर देखी होंगी जो आज चर्चा का विषय बना हुआ है. जी हां हम बात कर रहे हैं आशीष डंगवाल की…जो कि शिक्षक हैं। पिछले 3 सालों से उत्तरकाशी(केलसु घाटी) के एक सरकारी स्कूल में पढ़ा रहे थे. जब उनका स्थांतरण हुआ तो उनके सम्मान में विदाई कार्यक्रम हुआ। स्कूल के बच्चे,उनके माँ-पिता,आस पास के गाँव वाले भी आशीष से मिलने आए। ढ़ोल-दमौ के साथ आशीष को विदा किया. बच्चे रो-रोकर एक ही बात बोल रहे थे गुरु जी आप ना जाओ.
बच्चे ही नहीं उनके माता-पिता भी लिपटरट रोए
और सिर्फ स्कूली बच्चे ही नहीं बल्कि माँ-बाप औऱ गांव वाले भी शिक्षक से लिपट लिपट कर रोये। जो ये बताने के लिए काफी है कि इस शिक्षक ने कैसी शिक्षा बच्चों को दी औऱ क्या प्यार,सम्मान कमाया है। सिर्फ तन्ख्वा ही सब कुछ नहीं बल्कि इज्जज औऱ सम्मान भी इंसान को दुनिया में सब दिला सकती है क्योंकि इससे दिल से सुकून मिलता है.
आशीष डंगवाल ने जाते हुए बोला ये जगह ये गाँव अब से मेरा दूसरा घर हैं। मैं जल्द ही वापिस आऊँगा। उत्तराखंड में शिक्षा व्यवस्था को ठीक करने के लिए और बच्चों को अच्छी शिक्षा के साथ अच्छी भावना पैदा करने के लिए ऐसे शिक्षकों की जरुरत है. जहां भी ऐसे शिक्षक जाएंगे कामना करते हैं कि ऐसी ही छवि औऱ ऐसा ही सम्मान पाएं. ताकि औऱ शिक्षक इससे प्रेरित होकर कुछ सीखें औऱ ऐसा ही करें. इससे काफी हद तक शिक्षा के स्तर में बदलाव आएगा.