भारत के पूर्व राष्ट्रपति और मिसाइल मैन एपीजे अब्दुल कलाम ने युवाओं से कहा था अपनी पहली सफलता के बाद विश्राम मत करना, क्योंकि अगर दूसरी बार तुम असफल हुए तो बहुत से लोग तुम्हारी पहली सफलता को तुक्का बताने से नहीं चूकेंगे। स्व. कलाम ने यह भी कहा था कि जिंदगी अगर बदलनी है तो बड़े लक्ष्य रखो।
उत्तराखंड की बेटी इला कांडपाल ने भी शायद इन बातों को गांठ में बांध लिया। यही वजह है कि आने वाले वक्त में इला झारखंड में न्यायमूर्ति जैसे सम्मानित पद पर विराजमान दिखाई देंगी।
उत्तराखंड की बेटी इला ने शानदार सफलता हासिल कर परिवार और राज्य का नाम रोशन किया है। मूलत: कांडे गांव, अल्मोड़ा निवासी इला कांडपाल ने झारखंड पीसीएस (जे) परीक्षा क्वालिफाई करने में सफलता हासिल की है। उनकी इस उपलब्धि पर पूरे गांव में हर्ष का माहौल है।
इला के पिता दिनेश मोहन मुरादाबाद में विद्युत विभाग में कार्यरत रहने के बाद कुछ वर्ष पहले सेवानिवृत्त हुए। मुरादाबाद के सेंट मैरी स्कूल से प्रारंभिक शिक्षा हासिल करने के बाद इला ने हिन्दू कॉलेज से पढ़ाई की। दिल्ली विश्वविद्यालय से एलएलबी और एलएलएम करने के बाद उन्होंने नेट क्वालिफाई किया।
इसके बाद इला ने डीयू में ही असिस्टेंट प्रोफेसर के तौर पर सेवाएं दी। हालांकि उनके मन में पीसीएस (जे) क्वालिफाई करने का सपना पल रहा था, जिसे पूरा करने के लिए उन्होंने तैयारियां जारी रखी।
करीब दो साल तक शिक्षण कार्य से जुड़े रहने के बाद उन्होंने झारखंड पीसीएस (जे) की परीक्षा दी और दूसरे प्रयास में सफलता हासिल की। इला ने अपनी सफलता का श्रेय माता-पिता व परिजनों के सहयोग और शिक्षकों के मार्गदर्शन को दिया।