देहरादून : उत्तराखंड विधानसभा का तीन दिवसीय मानसून सत्र आयोजित करने की तिथि का ऐलान हो गया है। लेकिन मानसून सत्र में विधायकों के द्धारा सवाल लगाए जाने का नया रिकाॅर्ड इस बार बन सकता है। उत्तराखंड विधानसभा का तीन दिवसीय मानसून सत्र 23 सितम्बर से 25 सितम्बर तक आयोजित होगा लेकिन इस बार के मानसून सत्र में विधायकों के द्वारा लगाए जाने वाले सवालों का रिकाॅर्ड बन सकता है। सत्र आयोजित होने में अभी एक महीने से ज्यादा का समय है। लेकिन अभी तक उत्तराखंड के 20 विधायकों के द्वारा 910 सवाल लगा दिए गए हैं। विधायकों के इन सवालों के भले ही जवाब सदन की पटल पर चर्चा के रूप में न आए लेकिन इतना तय है कि जो भी सवाल प्रश्न काल में विधायकों के द्धारा पूछे जाएंगे वह सरकार के लिए मुसीबत जरूर खड़े करेंगे। विधायकों को सवालों को देखकर कहा जा रहा है कि क्या विधायकों को मलाल रह जाएगा कि वो सारे सवाल नहीं पूछ पाएंगे।
इतना ही नहीं विपक्ष के विधायकों के साथ सत्ता पक्ष के विधायकों के सवालों भी सरकार के लिए सदन में मुश्किलें बढ़ाएंगे। क्योंकि पिछले तीन सालों में हर बार सदन में विपक्ष के विधायकों की तुलना में सत्ता पक्ष के विधायक ही अपने सवालों से सरकार की मुसीबतें सदन के अंदर बढ़ाने का काम करते हैं। विधानसभा अध्यक्ष प्रेम चंद अग्रवाल का कहना है कि उन्हें इस बात की खुशी है कि कोरोना काल में विधायकों के द्वारा ऑनलाइन सवाल भी लगाए गए हैं और अभी तक 910 सवाल विधायकों के द्धारा लगाए गए हैं।
विधानसभा अध्यक्ष बेशक विधायकों के द्वारा अधिक से अधिक सवाल लगाए जाने को लेकर खुशी जाहिर कर रहे हों लेकिन इतना तय है कि विधायकों के द्वारा लगाए जा रहे सभी सवालों पर सदन में चर्चा होना मुश्किल है। जब यही सवाल हमने विधानसभा सत्र के दौरान संसदीय कार्यमंत्री की भूमिका अदा निभा रहे मदन कौशिक से की तो मदन कौशिक ने कहा कि प्रश्न काल के साथ नियम 58 के साथ – साथ कई अन्य माध्यमों से भी विधायक जनता के समस्यों को सदन में उठा सकते हैं।
कोराना वायरस महामारी के बीच इस बार मानसून सत्र आयोजित होगा,जिसकी समयावधि मात्र 3 दिन की रखी गई है,जिसको बढ़ाने की मांग विपक्ष भी कर रहा है। लेकिन सवाल इस बात है कि क्या जो सवाल उत्तराखंड के विधायक सदन में उठाने वाले है उनके जवाब उन्हे इसबार सदन में मिल पाएंगे।