देहरादून : धीरे धीरे उत्तराखंड में कोरोना का कहर कम हो रहा है। केंद्र सरकार ने 15 अक्टूब से लोगों को कई चीजों में राहत दी है। केंद्र सरकार ने 16 अक्टूबर से स्कूल खोलने की अनुमति दे दी है। वहीं अब उत्तराखंड सरकार भी स्कूल खोलने को लेकर मंथन कर रही है। शिक्षा मंत्री ने बैठक कर तीन चरणों में स्कूल खोलने की बात कही है लेकिन इससे पहले छात्र-छात्राओं के अभिभावकों से राय ली जाएगी। वहीं इसी के साथ शिक्षा विभाग शिक्षकों पर कड़़ा एक्शन लेने की तैयारी में है।
बता दें कि प्रदेश एक बार फिर अनिवार्य सेवानिवृत्ति की सुगबुगाहट तेज हो गई है। शिक्षा निदेशालय ने मुख्य शिक्षा अधिकारियों से ऐसे शिक्षकों का ब्योरा मांगा है जो लंबे समय से अनुपस्थित या बीमार हैं। वहीं इस संबंध में शिक्षा निदेशालय का पत्र मिलने के बाद मुख्य शिक्षा अधिकारियों ने खंड शिक्षा अधिकारियों से ऐसे शिक्षकों, प्रधानाचार्य और शिक्षणेत्तर कर्मचारियों की सूची मांगी है, जोअनिवार्य सेवानिवृत्ति के दायरे में आ रहे हैं। अनिवार्य सेवानिवृत्ति के लिए विभाग की ओर से छह मानक तय किए गए हैं। इनके अंतर्गत आने वालों का नाम सूची में शामिल किया जाएगा।
वहीं इससे प्रदेश भर के शिक्षकों में हड़कंप मच गया है। नियमानुसार कार्य करने में अक्षम 50 वर्ष या इससे अधिक आयु वाले शिक्षकों और शिक्षणेत्तर कर्मचारियों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी जाएगी। अपर शिक्षा निदेशक गढ़वाल मंडल महावीर सिंह बिष्ट ने बताया कि मंडल के सभी जिलों से नवंबर अंत तक ऐसे शिक्षकों की सूची मांगी गई है। सभी जिलों से सूची मिलने के बाद विभाग की ओर से गठित कमेटी इस पर अंतिम फैसला लेगी।
इनकी की जाएगी छुट्टी
शासकीय कार्य में असमर्थ होने पर।
गैरहाजिर रहने और लगातार छुट्टियां लेने वालों को।
लंबे समय से बीमार कार्मिकों को।
उच्च अधिकारियों के आदेशों की अवहेलना करने वालों को।
राजकीय कार्य में बाधा डालने पर।
जिनकी सत्यनिष्ठा संदिग्ध है या किसी जांच में दोषी पाए गए हों।