देहरादून(दीपिका रावत) : उत्तराखंड में बेरोजगारी का आलम क्या है ये किसी भी युवा से पूछ लीजिए. जिनके पास हाई-फाई डिग्रियां है वो आज होमगार्ड तक बनने को तैयार है. एमए, एमएसी, बीटेक तक से पास आउट हुए अभ्यार्थी आज होमगार्ड की रेस लगा रहे हैं. क्योंकि युवाओं को बस रोजगार चाहिए फिर चाहे वो चपरासी हो या होमगार्ड की नौकरी. हम ये नहीं कहते कि कोई नौकरी या पद छोटा या बड़ा होता है लेकिन सपने हर किसे के बड़े होते हैं जो कि उत्तराखंड में टूटते दिखाई दे रहे हैं.
स्पोर्ट्स में अपनी प्रतिभा का दम दिखाने वाले युवा का दर्द
ऐसा ही आलम देखने को मिला पौड़ी गढ़वाल जिले में जहां पढ़े से पढ़ा लिखा नौजवान होमगार्ड में भर्ती होने आए. बौंसाल निवासी एक अभ्यार्थी शेरु जोशी का कहना है कि पिछले डीएम ने सतपुली में 42 किमी की रेस में प्रथम आने पर उसे सम्मानित किया था लेकिन सब कुछ भुला दिया गया है. उसे स्पोर्ट्स एक्टिविटी में आगे लाने का वादा किया गया था लेकिन अब न डीएम यहां हैं और न उसकी प्रतिभा रंग ला पाई और अब रोजगार के लिए इधर-उधर भटकना पड़ रहा है.
उत्तराखंड के युवाओं को बेरोजगारी ने मारा
ऐसे ही कई नौजवान हैं जो हाई-फाई डिग्री लिए हैं लेकिन बेरोजगारी ने उन्हें इतना तोड़ दिया है कि वो होमगार्ड की नौकरी करने को तैयार हैं. जिन्हों बीटेक कर इंजीनियर बनने का सपना देखा आज वो होमगार्ड बनन के लिए रेस लगा रहा है.
आपको बता दें कि पौड़ी में 191 पदों पर होमगार्ड भर्ती प्रक्रिया चल रही है. आज शारिरिक मापदंडों को पूरा किया जा रहा है और 3 सितंबर को लिखित परीक्षा है.