\देहरादून : उत्तराखंड में इन दिनों दो नाम चर्चाओं में हैं एक हरक सिंह रावत और दूसरा दमयंती रावत….पहले वन मंत्री हरक सिंह रावत को भवन एवं सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड के अध्य़क्ष पद से हटाया गया और इसके बाद सचिव दमयंती रावत को भी। वहीं इसके बाद मंत्री हरक सिंह ने भवन एवं सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड के सचिव पद से दमयंती रावत को हटाने के तरीके पर सवाल उठाए। हरक ने कहा कि बोर्ड की नियमावली के तहत किसी को हटाने की खास प्रक्रिया है। अज्ञानता या अन्य कारण से वर्तमान बोर्ड अध्यक्ष ने इस प्रक्रिया का पालन नहीं किया। हरक ने यह भी कहा कि बोर्ड के सदस्य अभी बरकरार हैं।
जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष का हरक और दमयंती रावत पर वार
वहीं दोनों को लेकर अब जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष और जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने भी हमला बोला है। रघुनाथ सिंह नेगी ने आरोप लगाते हुए कहा कि दोनों ने मिली भगती से सरकार को करोड़ों का चूना लगाया है। उन्होंने कहा कि श्रम मंत्री हरक सिंह रावत की सरपरस्ती में दमयंती रावत ने करोड़ों रुपए का बजट गरीब श्रमिकों/कर्मकरों की आड़ में ठिकाने लगा चुकी हैं।
70-80 करोड रुपये का घोटाला करने का आरोप
रघुनाथ नेगी ने आरोप लगाते हुए कहा कि दमयंती रावत साल 2018 से बोर्ड में सचिव पद पर थी औऱ उन्होंने मिली भगत से 70-80 करोड रुपए से अधिक मूल्य की घटिया साइकिलें, सिलाई मशीन, टूल किट्स आदि खरीद की गई, जिसमें मोटी कमीशन का खेल खेला गया। कहा कि खरीदा गया सामान इतना घटिया था कि मजदूरों ने खुद उसे इस्तेमाल नहीं किया बल्कि सस्ते से सस्ते दाम में बेच दिया। कहा कि विभाग में करोड़ों का घोटाला किया गया है जिसका हिसाब किसी के पास नही है।
प्रशिक्षण के नाम पर करोड़ों रुपये का बंदरबांट किया-रघुनाथ नेगी
रघुनात नेगी ने आरोप लगाते हुए कहा कि प्रशिक्षण के नाम पर करोड़ों रुपये का बंदरबांट किया गया है जिसकी खबर किसी को नहीं है. कहा कि इन्होंने अपनी और अपने कई खास एनजीओ को फायदा पहुंचाने का काम किया है। रघुनाथ नेगी ने दमयंती को सचिव पद से हटाए जाने पर खुशी जाहिर की और इसे सरकार का सराहनीय कदम बताया। रघुनात नेगी ने कहा कि इन्होंने सहसपुर स्थित अपने दून मेडिकल एवं साइंस को हॉस्पिटल्स की सूची में इम्पैनल कर लाभ पहुंचाया है। मोर्चा सरकार से मांग करता है कि इनके कार्यकाल में की गई खरीद- वितरण, एनजीओ को लाभ पहुंचाने एवं स्किल करने के नाम पर हुए महा घोटालों की सरकार सीबीआई जांच कराए।