देहरादून : उत्तराखंड के वन मंत्री हरक सिंह रावत और प्रमुख वन संरक्षक जयराज एक बार फिर आमने-सामने आ गए हैं। जी हां पहले भी कई बार हरक सिंह रावत और प्रमुख वन संरक्षक के बीच तनातनी देखने को मिली है लेकिन इस बार तनातनी वन विभाग के द्वारा मनाए जाने वाले हरेला पर्व को लेकर है।
वन मंत्री हरक सिंह रावत ने जताई नाराजगी, कई सवाल खड़े किेए
आपको बता दें कि प्रमुख वन संरक्षक के द्वारा हरेला पर्व मनाने के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सदस्यों को भरपूर सहयोग हरेला पर्व में दिए जाने को लेकर सरकारी पत्र जारी किया गया है। वहीं इस पर वन मंत्री हरक सिंह रावत ने ही सवाल खड़े कर दिए हैं। हरक सिंह रावत का कहना है कि सरकार सबकी होती है लेकिन सरकारी पत्रों में इस तरह की की भाषा सही नहीं है। अगर पत्र में अन्य सामाजिक संगठनों का भी जिक्र होता तो बेहतर होता। सरकारी पत्र में यदि आपने स्वयंसेवक का जिक्र किया था तो उसमें अन्य सामाजिक संगठनों का भी जिक्र किया जाता तो बेहतर होता।
नेता प्रतिपक्ष इंदिरा ने भी उन्हें फोन कर अपनी नाराजगी जताई- हरक सिंह
नेता प्रतिपक्ष इंदिरा ने भी उन्हें फोन कर अपनी नाराजगी जताई है। हरक सिंह रावत का कहना कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ देश का प्रमुख सामाजिक संगठन हैं। हर गांव में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के कार्यकर्ता है जो हर विपदा में मदद करते हैं और हमेशा से ही सामाजिक कार्यों में अपनी भागीदारी अदा करता हैं लेकिन हरेला पर्व में केवल राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का जिक्र करना सरकारी पत्र में सही नहीं है क्योंकि सरकार चुने जाने बाद सरकार सब की होती है और सरकार में रहकर एक संगठन के लिए निर्णय लिया जाना सही नहीं होता है। सरकार सबकी होती है, सरकार इस समय उनकी भी है जिन्होंने वोट दिया है और उनकी भी है जिन्होंने वोट नहीं दिया है. कांग्रेस के लोगों की भी सरकार है, सेवा दल के लोगों की भी सरकार है चाहिए कोई माने या न मानें ,लेकिन सामाजिक संगठन का सरकारी करण करना सही नही है।
हरक सिंह के बयान से साफ है कि प्रमुख वन संरक्षक जयराज के द्वारा जारी किए गए पत्र जिसमे राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ के सदस्य को हरेला पर्व में भागीदारी का आदेश जारी किया गया उसकी अनुमति वन मंत्री से नहीं ली गयी। वरना हरक सिंह रावत इस तरह की प्रतिक्रिया न देते। हरक की प्रतिक्रिया पर गौर फरमाएं तो सही भी है। हालांकि कई लोगों को भले ये लगेगा कि हरक कांग्रेस से भाजपा में आए हैं इसलिए उन्हें हरेला पर्व में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के लोगों के शामिल होने पर आपत्ति हो सकती है, लेकिन एक अधिकारी के द्वारा यदि इस तरह का आदेश जारी होता है तो उसमें भी संदेह है कि अधिकारी इस तरह क्यों बिना मंत्री के संज्ञान के हरेला पर्व का संघी करण कर रहे है।