नैनीताल : ये तस्वीर देखकर आप समझ गए होंगे कि किसी बीमार को ही डोली में बैठाकर अस्पताल ले जाया जा रहा है लेकिन उस सड़क का क्या जो खुद ही बीमार है जो चलने लायक तक नहीं है। जी हां ऐसी ही तस्वीर सामने आई है सरोवर नगरी नैनीताल से…जहां से महज कुछ किलोमीटरों की दूरी पर बसे गहना गांव का मोटर सड़क संपर्क नहीं है। जिले में भीमताल के समीप ओखलकांडा ब्लॉक के गहना गांव की तुलसी देवी घास काटते समय गंभीर रुप से घायल हो गई थी जिन्हें बेहतर उपचार की जरुरत थी। तुलसी देवी चलने में असमर्थ थी इसलिए उनको डोली के सहारे अस्पताल ले जाया गया लेकिन आप चौंक जाएंगे कि बदहाल रास्तों पर गांव वाले घायल को 9 किलोमीटर पैदल चलकर ले गए। इस तस्वीर से पूरे उत्तराखंड की चिकित्सा सुविधा और स्वास्थय विभाग समेत पीडब्ल्यूडी, मंत्री-विधायक और सरकार पर कई सवालिया निशान खड़े होते हैं।
सवाल ये भी है कि इन गांव वालों को वोट के बदले ये सिला दिया गया कि उन्हे सालों से सड़क ही नसीब नहीं हुई। अक्सर घायलों को डोली में 9 किलोमीटर पैदल चल कर ले जाना पड़ता है। ये तो ठीक है लेकिन यदि किसी की हालत गंभीर हो और उसे तुरंत उपचार मिलना जरुरी हो तो ऐसे में उसका जिम्मेदार किसे माना जाएगा सरकार, मत्री-विधाक, स्वास्थय विभाग, पीडब्ल्यूडी?
जी हां गांव वालों ने घायल महिला को डोली पर कंधे पर उठाकर 9 किलोमीटर का सफर तय किया और उबड-खाबड़ रास्ते समेत नदीं नाले, पत्थर क्रॉस करते हुए घायल महिला तुलसी को हल्द्वानी मोटर मार्ग तक पहुंचाया औऱ फिर वाहन से अस्पताल ले जाया गया। महिला की हालत बेहतर है लेकिन अब सवाल उठ रहा है उत्तराखंड की बीमार सड़क पर कि आखिर गांव वाले जो अपना कीमती समय निकालकर वोट करने इसलिए जाते हैं ताकि सरकार उनकी मदद करेगी, उनको हर सुख सुविधा उपलब्ध कराएगी लेकिन उसके बदले उन्हें ये मिलेगा उन्हें पता न था।