नौगांव ब्लाक के स्यालना गांव में हजार से ज्यादा की आबादी है। इस गांव में करीब दो सौ से अधिक परिवाररहते है। यूं तो इस गांव में कई तरह की दिक्कतें मुंह बाए खड़ी है, मगर सड़क की दिक्कत ने ग्रामीणों को जैसे सबसे अलग-थलग कर दिया है। ग्रामीण करीब सात किलोमीटर का दुर्गम सफर तय कर मोटर मार्ग तक पहुंचते हैं। यह सफर तब और भी कठिन हो जाता है जब किसी बीमार या फिर परीक्षार्थियों को समय पर अपने गंतव्य तक पहुंचना हो।
ग्रामीण चंद्रमोहन और जगमोहन उर्फ जग्गू ने बताया कि 2002 में स्यालना के लिए सड़क स्वीकृत हो गई थी। जबकि अभी तक सड़क की नींव तक नहीं रखी गई है। उनहोंने कहा कि सड़क न होने से लोगों को स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए लंबी दूरी तय करनी पड़ती है और मामला प्रसव का हो उस भक्त कई कठिनाइयों से महिला का सड़क तक पहुंचाया जाता है। चन्द्रमोहन आगे कहते हैं कि विकास को तरसते और सिस्टम से आक्रोशित ग्रामीणों ने बीते लोकसभा चुनाव का बहिष्कार भी किया। लेकिन शासन प्रशासन के कांनो तक जूं तक नहीं रेंगी। आक्रोशित ग्रामीण कहते हैं कि पांच सौ की आबादी वाले अधिकांश गांव प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना से जुड़ गए। मगर स्यालना गांव अभी तक सड़क से अछुता ही रह गया है। इसलिए इस बार विधानसभा चुनाव के बहिष्कार का निर्णय लिया गया है। इसका प्रस्ताव पारित कर पंजीकृत डाक से जिलाधिकारी को भेज दिया है।
इस मामले पर भाजपा ने कांग्रेस सरकार को दोषी ठहराया है। भाजपा के पूर्व प्रवक्ता शादाब शम्स ने कहा कि जिस गांव के लोग वोट का बहिष्कार कर रहे हैं। उस विधानसभा से विधायक प्रीतम पवांर सरकार में मंत्री रहे लेकिन क्षेत्र के लोगों की अनदेखी होती रही। उन्होंने कहा कि इस मामले में भाजपा अपने सांसद से बात कर गांव की समस्या से अवगत करवाएगी।