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उत्तराखंड की सायरा बानो जिसने दिलाई करोड़ों मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक से आजादी

Reporter Khabar Uttarakhand
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काशीपुर(सोनू जैन) : तीन तलाक के खिलाफ लोकसभा के बाद राज्यसभा में बिल पास होने के बाद देश भर की मुस्लिम महिलाओं में जहां खुशी का माहौल है तो वही देशभर में तीन तलाक के खिलाफ मुस्लिम महिलाओं की आवाज बनी सायरा बानो का परिवार तीन तलाक बिल के राज्यसभा में पास होने पर बेहद खुश है। आपको बता दें कि 40 साल की सायरा बानो को तकरीबन चार साल पहले उनके पति ने तलाक दे दिया था, लेकिन उन्होंने अपनी बाकी की उम्र रो-रोकर घर में गुजारने के बजाय करोड़ों मुस्लिम महिलाओं की आवाज बनने का फैसला किया।सायरा बानो ने ही तीन तलाक के खिलाफ सबसे पहले सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।

दिल्ली से बीते दिन काशीपुर वापस लौटी सायरा बानो और उनके परिवार में सभी ने एक दूसरे को मिठाई खिलाकर शुभकामनाएं दी। इस दौरान उनके पिता इकबाल अहमद में विपक्ष के द्वारा लोकसभा और राज्यसभा में इस बिल के खिलाफ जाने पर बहुत अफसोस जाहिर किया लेकिन साथ ही उनके पिता इकबाल अहमद भाई शकील अहमद मां फिरोजा बेगम और भाई अरशद के साथ-साथ परिवार में सभी लोगों में खुशी साफ दिखाई दी।

2015 में किया ससुराल वालों ने प्रताड़ित

इस दौरान सायरा बानो ने बताया कि किस तरह उनको 2015 में शादी के बाद ससुराल वालों के द्वारा प्रताड़ित किया गया और 23 फरवरी 2016 को उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। अब जाकर 3 साल के लंबी जद्दोजहद के बाद आखिरकार बिल पास हो गया जिसकी उन्हें बेहद खुशी है।

सायरा बानो ने ही खटखटाया था तीन तलाक के खिलाफ सबसे पहले सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा 

तीन तलाक को सुप्रीम कोर्ट से असंवैधानिक घोषित कराने से लेकर उसे इस मुकाम तक पहुंचाने और करोड़ों मुस्लिम महिलाओं को इस कुप्रथा से निजात दिलाने में प्रयागराज में ब्याही गई उत्तराखंड की सायरा बानो का बहुत बड़ा योगदान है।सायरा बानो ने ही तीन तलाक के खिलाफ सबसे पहले सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।

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