नैनीताल (मोहम्मद यासीन) : उत्तराखण्ड में नैनीताल की प्रसिद्ध केबल कार(रोपवे)हवा में अटक गई जिसके कारण ऊपर से पर्यटकों को रस्सी के सहारे रैस्क्यू करना पड़ा। पर्यटकों की जान पर बन आई तो प्रबंधन ने उन्हें 250 फ़ीट की ऊँचाई से रैस्क्यू किया।
टेक्निकल खराबी के कारण आधे रास्ते में रुकी रोपवे
नैनीताल में मल्लीताल से स्नो व्यू ले जाने वाली ट्रॉली(केबल कार)बीती शाम 3:30 बजे बीच मार्ग में अटक गई। केबल कार में उस समय तीन पर्यटकों के साथ दो स्थानीय लोग मौजूद थे। घटना के समय केबल कार मल्लीताल स्टेशन से स्नोव्यू स्टेशन की तरफ जा रही थी। अचानक केबल कार आधे रास्ते में ही रुक गई, और उसमें बैठे यात्रियों की जान पर बन आई। रोपवे कार के रुकते ही के.एम.वी.एन.की टेक्निकल टीम और रेस्क्यू टीम को सूचित किया गया। टीम ने एक एक कर सभी सवारियों का रस्सियों के सहारे इवैक्युएशन कर सुरक्षित उतार लिया। जानकारी के अनुसार टेक्निकल खराबी आने के कारण रोपवे आधे रास्ते में ही रुक गई थी।
कुमाऊ मंडल विकास निगम द्वारा संचालित होती है रोपवे
आपको बता दें कि नैनीताल की शान माने जाने वाली रोपवे कुमाऊ मंडल विकास निगम (के.एम.वी.एन.)के द्वारा संचालित की जाती है। इस रोपवे का निर्माण सन 1985 में उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री पंडित नारायण दत्त तिवारी द्वारा कराया गया था। ये ट्रॉली इलैक्ट्रिक वायर केबिल सिस्टम से चलती है और इसे ऑस्ट्रिया के वोइस्ट अल्पाइन के साथ भारत सरकार की त्रिवेणी स्ट्रक्चरल लिमिटेड कम्पनी के संयुक्त तत्वाधान में बनाई गई। ये ट्रॉली दो किसम के तारों के साथ बैरिंग और पुली सिस्टम पर है आधारित।
सन 2013 की 15 अप्रैल को ट्रॉली का कम्पोनेंट खराब हुआ था जिसके कारण सही करने तक मुंबई से आए 9 छात्र छात्राओं को तो दूसरी बार 9 जून को बिजली जाने और जेनरेटर खराब होने के कारण ट्रॉली हवा में रुक गई थी जिसके बाद मुंबई और फिर दिल्ली और उत्तर प्रदेश के पर्यटकों को सुरक्षित इवैक्युएट(रैस्क्यू) करा गया था। लोगों को लगभग 250 फीट की ऊंचाई से इवैक्युएशन कर सभी यात्रियों को सुरक्षित उतार लिया गया था। ट्रॉली को विध्युत आपूर्ति ठप होने की स्थिति में 85 के.वी.ए.के जनरेटर की मदद से चलाया जाता है। तकनिकी कारणों से ये ट्रॉली दो बार सन 1985 और सन 2013 में 15 अप्रैल और 9 जून को खराब हो गई थी जब लगभग 250 फीट की ऊंचाई से हुए इस इवैक्युएशन में सभी सुरक्षित उतार लिए गए थे। स्विस तकनीक से बनी इस रोपवे की ट्रौली में 11 लोगों व् 825 किलोग्राम वजन के साथ सवार होने की व्यवस्था होती है। यह रोपवे यात्रियों को ढाई मिनट में लगभग एक किलोमीटर का रास्ता तय करके समुद्र सतह से 2270 मीटर ऊपर स्नो व्यू नामक पर्यटक स्थल ले जाता है जहां से एक तरफ नैनीझील तो दूसरी तरफ हिमालय दिखाई देते हैं ।