देहरादून : उत्तराखंड के मुख्य सचिव उत्पल कुमार ने 1 जुलाई को शासकीय अधिकारियों के लिए एक आदेश जारी किया है जिसको लेकर कई सवाल खड़े हो रहे हैं। अचानक ऐसा आदेश पढ़कर लोग सवाल खड़े कर रहे हैं कि आखिर ये आदेश किसी मंत्री-विधायक द्वारा अधिकारियों द्वार उपेक्षा करने के बाद जारी किया गया है। दरअसल मुख्य सचिव उत्पल कुमार द्वारा जारी आदेश में शासकीय अधिकारियों को संसद और विधानसभा के सदस्य यानी की मंत्री-विधायकों के आने पर खड़े होने और खड़ा होकर विदा करने का आदेश जारी किया गया है। इस आदेश में अधिकारियों के लिए कई औऱ बातें कही गई है।
सीएम ने भी अधिकारियों को दी नसीहत
वहीं सीएम ने भी अधिकारियों को लेकर बयान दिया और कहा कि अधिकारियों को याद दिलाना पड़ता है कि वो अधिकारी हैं जनप्रतिनिधि नहीं। वो भूल जाते हैं कि वो अधिकारी हैं जनप्रतिनिधि नहीं है। साथ ही सीएम ने कहा कि जैसे हनुमान जी को उनकी ताकत के बारे में याद दिलानी पड़ती थी ऐसे ही हमारे अधिकारी हैं।
हर समय शिष्टाचार और आदर का भाव प्रदर्शित करें : आदेश
आदेश में कहा गया है कि अधिकारियों को संसद सदस्य और विधानसभा के सदस्यों की के प्रति हमेशा हर समय शिष्टाचार और आदर का भाव प्रदर्शित करना चाहिए। साथ ही लिखा है कि संसद सदस्य और विधानसभा के सदस्यों की बात धैर्यपूर्वक सुननी चाहिए और उन पर गंभीरता से विचार करना चाहिए। दूसरी ओर उन्हें ऐसे समस्त मामलों में गुण दोष तथा विवेकपूर्ण निर्णय के अनुसार कार्य करना चाहिए।
मंत्री-विधायक आएं-जाएं तो खड़े होकर करें आदर-सत्कार
आदेश में उत्पल कुमार द्वारा अधिकारियों को आदेश दिया गया है कि किसी भी संसद के सदस्य और राज्य विधानसभा के सदस्य के अधिकारी से मिलने आने पर उनका खड़ा होकर स्वागत किया जाए और जब वो जाएं तो खड़े होकर उन्हें विदा करें।
मंत्री-विधायकों की हरसंभव करें मदद
मुख्य सचिव उत्पल कुमार द्वारा जारी आदेश में ये भी कहा गया है कि प्रत्येक शासकीय अदिकारी को संसद सदस्यों और विधानसभा के सदस्यों के महत्वपू्र्ण संवैधानिक कर्तव्यों के निर्वाहन में हर संभव मदद करनी चाहिए।
बिन आग के धुआं नहीं उठता
वहीं इसके बाद ये सवाल खड़े हो रहे हैं कि क्या अधिकारियों द्वारा किसी की उपेक्षा की गई जिसके बाद इसकी शिकायत शासन को की गई है और इसके बाद ये आदेश जारी किया गया है? क्योंकि बिन आग के धुआं नहीं उठता है।