उत्तराखंड के लिए आईटीबीपी के जवान कई जगहों पर देवदूत साबित हुए। कई लोगों के लिए आईटीबीपी के जवान मसीहा साबित हुए। कइयों को जवानों ने कंधों पर उठाकर अस्पताल पहुंचाया तो वहीं सेना के जवानों का वाहन जब चमोली में खाई में गिरा तो उनको रेस्क्यू करने का काम भी आईटीबीपी के जवानों ने किया। वहीं एक बार फिर से आईटीबीपी के जवानों ने दरियादिली दिखाई। जी हां बता दें कि आईटीबीपी के 7 जवानों ने पिथौरागढ़ उच्च हिमालयी क्षेत्रों की अग्रिम चौकी बुगडियार से पोनी पोर्टर के शव कंधे पर रखकर 19 किमी पैदल चले। इतना ही नहीं इसके बाद वाहन से 18 किलोमीटर का सफर तय कर शव को परिजनों को सौंपा। मिली जानकारी के अनुसार मवानी-दवानी निवासी भूपेंद्र राणा पोनी पोर्टर का काम करता था। मल्ला जोहार स्थित आईटीबीपी की बुगडियार चौकी के पास पत्थरों की चपेट में आने से उसकी मौत हो गई थी। वहीं रास्ता बंद होने के कारण उसके शव को परिजनों को सौंपने में बाधा उत्पन्न हुई तो मृत के बच्चों औऱ पत्नी ने जवानों से मदद मांगी। आईटीबीपी के जवानों ने दरियादिली दिखाते हुए कई किलोमीटर का सफर तय करते हुए मृतक भूपेंद्र का शव परिजनों को सौंपा।14वीं वाहिनी के सेनानी बलजिंदर सिंह ने बल के सात जवानों को शव लाने की जिम्मेदारी सौंपी थी। रविवार रात जवान शव लेकर मुनस्यारी पहुंचे। यहां से शव बंगापानी ले जाया गया।