कोटद्वार- पौड़ी जिले के कोटद्वार को बेशक अभी तक सिद्धबली और कर्ण्वाश्रम के नाम से जाना जाता हो लेकिन अगर सब कुछ ठीक ठाक रहा तो आने वाले वक्त में देश भर में कोटद्वार को आसानी से पहचाना जाएगा।
उसकी वजह है कि कोटद्वार में खुलने वाला राष्ट्रीय स्तर का शोध संस्थान। आयुर्वेदिक दवाओं पर शोध के लिए राज्य सरकार ने कोटद्वार के चरक डांडा में 50 एकड़ जमीन मंजूर कर ली है। 150 करोड़ में तैयार होने वाले इस शोध संस्थान में आयुर्वेदिक दवाइयों के नए फार्मूले तैयार किए जाएंगे। जबकि आयुर्वेद के क्षेत्र में शोध भी किए जाएंगे ताकि इससे आयुर्वेद की दवाइयों को अधिक असरकार बनाया जा सकेगा।
राज्य के सिडकुल की बात की जाए तो अभी तकरीबन दो सौ से ज्यादा करीब आयुर्वेदिक दवा कंपनियां मौजूद हैं, लेकिन शोध न होने से नई दवाइयों का निर्माण में तेजी नहीं आ पा रही थी। इसी को देखते हुए अब उत्तराखंड सरकार ने कोटद्वार में आयुर्वेदिक शोध संस्थान खोलने का निर्णय लिया है।
सरकार की आयुर्वेद के क्षेत्र में की गई इस बड़ी पहल का असर आने वाले वक्त में मिलेगा ऐसी संभावना जताई जा रही है। माना जा रहा है कि इस संस्थान के बाद केरल की तरह ही उत्तराखंड़ भी अायुर्वेद के क्षेत्र में अपना नाम रोशन करेगा।
लिहाजा इस कवायद को अमली जामा पहनाने के लिए सरकार कई स्तर पर काम कर रही है। नए आयुर्वेद अस्पतालों के निर्माण के साथ ही डॉक्टरों, फार्मासिस्टों की तैनाती की जा रही है। जबकि आयुर्वेद को पर्यटन से जोड़ने के लिए नए पंचकर्म केंद्र भी खोले गए हैं। इसी के तहत अब आयुर्वेद में शोध को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय स्तर का शोध संस्थान खोला जा रहा है।