रुद्रपुर जिला अस्पताल में क़्वारंटीन हुआ एक परिवार अपने बच्चे के उपचार के लिए धक्के खाता हुआ दिखायी दिया। इन तस्वीरों से एक ही सवाल खड़ा हो रहा है कि क्या उत्तराखंड में क्वारंटीन-क्वारंटीन का खेल चल रहा है। क्योंकि अस्पताल प्रशासन के डॉक्टर ने पहले से क़्वारंटीन हुए इस परिवार को दोबारा होम क़्वारण्टीन कर दिया। इस परिवार के सामने परेशानी तब आयी जब इन्हें अपने घर जाने के लिए कह दिया गया और घर भिजवाने के लिए कोई वाहन का बंदोबस्त जिला अस्पताल की तरफ से नहीं किया गया है। वहीं बच्ची की तबीयत खराब है।
पुलिस ने परिवार को किया पंतनगर के सेंटर में क़्वारंटीन
गौरतलब है कि किच्छा का एक परिवार नेपाल में मजदूरी करता है। वह अपने परिवार के दस लोगो के साथ चार पाँच दिन पूर्व नेपाल से किच्छा वापस आया और पुलिस के पास जा पहुँचा जिसे किच्छा पुलिस ने सभी लोगों को पंतनगर क़्वारण्टीन सेंटर भेज दिया। पिछले तीन दिनों से इसी परिवार के समीर नामक व्यक्ति की मासूम बच्ची को बुखार की शिकायत है। क़्वारण्टीन सेंटर के संचालकों से काफी आग्रह के बाद इसे रुद्रपुर जिला अस्पताल में उपचार के लिए भेज दिया गया। जिला अस्पताल में इसकी थर्मल स्क्रीनिंग कर डॉक्टरों ने इसे इसकी पत्नी को होम क़्वारण्टीन की मुहर लगा दी और कह दिया आप अपने घर किच्छा जाये।
सारा सामान और परिवार के लोग भी पंतनगर क़्वारंटीन सेंटर में-युवक
पीड़ित युवक की मानें तो वह पहले से ही पंतनगर में परिवार के लोगों के साथ क़्वारण्टीन है। उसका सारा सामान और परिवार के लोग भी पंतनगर क़्वारंटीन सेंटर में हैं। वह कैसे किच्छा जाये और उसके पास घर जाने तक के लिए पैसे भी नहीं हैं और जिला अस्पताल प्रशासन अपनी एम्बुलेंस से घर छोड़ने को भी तैयार नहीं है।
अब होम क़्वारंटीन पर लगाई मुहर
देखा जाये तो यह जिला अस्पताल प्रशासन की बड़ी लापरवाही सामने आयी है, जो कि पंतनगर में क़्वारण्टीन युवक को बिना किसी जानकारी के उसे होम क़्वारण्टीन करने की मुहर लगा दी है। जबकि उसे पंतनगर क़्वारण्टीन सेंटर से अभी डिस्चार्ज नहीं किया गया है। वहीं जिला अस्पताल के मुख्य चिकित्साधिकारी का कहना है कि ऐसा कोई मामला उनके संज्ञान में नहीं हैं। यदि कोई शिकायत ऐसी आती है तो वह इस पर गौर करेंगे।