देहरादून : जिले में विशिष्ट कार्य करने वाले अधिकारियों को आज मंगलवार को आयुक्त गढवाल रवि नाथ रमन ने ‘‘जिलाधिकारी सम्मान’’ से सम्मानित किया गया। जिलाधिकारी सम्मान के लिए चयन समिति द्वारा चयनित 7 कर्मियों को सम्मानित किया गया था, जिसमे अभिहित अधिकारी, खाद्य सुरक्षा अधिकारी गणेश चन्द्र कंडवाल और जिलाधिकारी आशीष श्रीवास्तव भी शामिल हैं।
अब दुकानों में पकौड़े-समौसे तलने के बाद बचे हुए तेल से बनेगा बायोडीजल
बता दें कि अभिहित अधिकारी, खाद्य सुरक्षा गणेश चन्द्र कंडवाल ने देहरादून जनपद में एक ऐसी जिम्मेदारी का निर्वाहन कर रहे हैं जिससे प्रदेश की जनता को खासा फायदा होगा क्योंकि आज के समय में हर घर में दो से ज्यादा वाहन हैं। अभिहित अधिकारी, खाद्य सुरक्षा गणेश चंद्र कंडवाल की मुहिम से अब दुकानों में पकौड़े-समौसे तलने के बाद बचे हुए तेल से बायोडीजल बनेगा। बता दें कि गणेश चंद्र कंडवाल ने इस दौरान जिलाधिकारी का धन्यवाद अदा किया और कहा कि उत्तम कार्य करने के लिए अधिकारियों को सम्मनित किया गया जो की अपने आप में एक बहुत बड़ा काम है। कहा कि हमारे द्वारा जो कार्य किया गया है…खासतौर से एफडीए की और यूज कुकिंग ऑयल से बायो डीजल बनाने का जो भारत सरकार का प्रोग्राम के तहत आईआईपी को यूज कुकिंग आयल उपलब्ध कराया गया है और यूज कुकिंग आयल से आईआईपी द्वारा बायो डीजल बनाया जा रहा है और कई तरह से प्रयोग में लाया जा रहा है।
खाद्य कारोबारी अब नहीं फेकेंगे बचा हुआ तेल
जानकारी के लिए आपको बता दें कि खाद्य कारोबारी जिस जले तेल को यूं ही फेंक देते हैं, उससे अब गाड़ी चलेगी। आप भले ही इसे अभी मजाक समझें लेकिन एफएसएसएआइ ने इसकी कवायद शुरू कर दी है। खराब तेल का संग्रह कर इससे बायो-डीजल बनाया जाएगा। इस योजना को रिपरपज यूज्ड कुकिंग ऑयल (रुको) नाम दिया गया है।
एक ही तेल में तीन बार से अधिक खाद्य पदार्थ नहीं बना सकेंगे-जीसी कंडवाल
खाद्य सुरक्षा विभाग ने देहरादून हलवाई एसोसिएशन और देहरादून बेकरी एसोसिएशन के सहयोग से हरिद्वार रोड स्थित अतिथि कम्युनिटी सेंटर में एक कार्यशाला का आयोजन किया। खाद्य सुरक्षा विभाग के जिला अभिहित अधिकारी जीसी कंडवाल ने बताया कि दुकानदार अब एक ही तेल में तीन बार से अधिक खाद्य पदार्थ नहीं बना सकेंगे। ऐसे तेल का इस्तेमाल बायो-डीजल बनाने में होगा। रिपरपज यूज्ड कुकिंग ऑयल (रुको) की जानकारी उन्होंने व्यापारियों को दी। कहा कि अपने आदेश से एफएसएसएआइ दो मकसद पूरा करना चाहती है।
बार-बार गर्म करने के कारण तेल का टोटल पोलर कंपाउड (टीपीसी) 25 फीसद से कहीं अधिक हो जाता है, जो इसे जहरीला बना देता है। खासतौर से मांसाहारी भोजन बनाने के बाद बचे तेल में हेक्टोसाइक्लिक अमीन की मात्रा बहुत अधिक हो जाती है। इसके अलावा बार-बार फ्राई करने के बाद बचे तेल में पॉलीसाइक्लिक एरोमेटिक हाइड्रोकार्बन (पीएएच) की मात्रा भी बढ़ जाती है, जो कैंसर का मुख्य कारक माना जाता है। दुकानों पर बनने वाले पकौड़े, कचौरी, समोसे, पूड़ी तलने के बाद बचने वाले तेल से अब बायोडीजल बनाने की शुरुआत हो चुकी है. क्योंकि यूज्ड कुकिंग ऑयल सेहत के लिए खतरनाक होता है और ऐसे में अब देहरादून के आईआईपी के वैज्ञानिक यूज्ड कुकिंग आयल से बायोडीजल बना रहे हैं. वैज्ञानिक अब आम लोगों को भी जागरूक करने के लिए प्रोग्राम तैयार कर रहे हैं.
वैज्ञानिकों का मानना है कि जिस तरह से देश में पेट्रोलियम पदार्थों की मांग बढ़ी हैं. ऐसे में पेट्रोलियम पदार्थों को बनाने के नए विकल्प के बारे में विचार करना जरूरी है और उसी कड़ी में देहरादून के आईआईपी के वैज्ञानिकों ने कुकिंग ऑयल से बायोडीजल बनाने का प्लांट तैयार किया है.