देहरादून- बाबा केदरानाथ के बाद सोमवार को भगवान बदरीनाथ के कपाट भी मंत्रोच्चारण के बाद खोले गए। सुबह 4:30 बजे बदरीनाथ के कपाट खुलने के साथ ही भक्तों ने अपने जयकारों से भगवान के दर्शन करने का सिलसिला शुरू कर दिया। यह मंदिर हिन्दुओं की आस्था का बहुत बड़ा केंद्र है। उत्तराखंड में अलकनंदा नदी के किनारे बसा यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है।
दो पर्वतों के बीच बसा है बदरीनाथ धाम
बदरीनाथ मंदिर के कपाट भी बाबा केदारनाथ की तरह ही साल में सिर्फ छह महीने के खुलते हैं जो अप्रैल के अंत या मई के प्रथम पखवाड़े में दर्शन के लिए खोल दिए जाते हैं। बदरीनाथ धाम दो पर्वतों के बीच बसा है। इसे नर नारायण पर्वत कहा जाता है। कहते हैं यहां पर भगवान विष्णु के अंश नर और नारायण ने तपस्या की थी। नर अगले जन्म में अर्जुन और नारायण श्री कृष्ण हुए। बद्रीनाथ के पुजारी शंकराचार्य के वंशज होते हैं जो रावल कहलाते हैं। बदरीनाथ धाम के महत्व का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि स्वयं भगवान विष्णु ने कहा है की कलियुग में वे अपने भक्तों को बद्रीनाथ में मिलेंगे। पुराणों में बदरीनाथ धाम को पृथ्वी पर बैकुंठ की उपमा दी गई है क्योंकि यहां साक्षात् भगवान विष्णु विराजमान हैं। इस धाम की विशेषता यह है कि इसे सतयुग में मुक्तिप्रदा, त्रेता में योग सिद्धिदा, द्वापर में विशाला ओर कलियुग मे बदरीकाश्रम नाम से पहचान मिली है।
पंजीकरण की व्यवस्था
इस बार तीर्थयात्रा को बेहतर बनाने के लिए तकनीकी उपयोग पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। राज्य सरकार पंजीकरण व्यवस्था को यात्रियों के अनुकूल बनाने के कार्य कर रही है। ऋषिकेश से लेकर सभी धामों के बीच पड़नेवाले महत्वपूर्ण स्थानों पर पंजीकरण की व्यवस्था को प्रभावी बनाया जा रहा है। इससे बदरीनाथ मंदिर में दर्शन करने के लिए घंटो लाइन में खड़े रहने से मुक्ति मिलने की बात कही जा रही है।
कम्प्यूटरीकृत टोकन सिस्टम की व्यवस्था
श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति ने इस बार मंदिर में प्रवेश के लिए कम्प्यूटरीकृत टोकन सिस्टम की व्यवस्था फिर से शुरू करने की योजना बनायी है। मंदिर के पीआरओ डा. हरीश गौड़ ने बताया ‘इस बार बदरीनाथ धाम में प्रवेश के लिए तीर्थयात्रियों को पंजीकरण कराना होगा। पंजीकरण करते समय तीर्थयात्रियों को प्रवेश के लिए टोकन दिया जाएगा, जिसमें प्रवेश के लिए गेट पर पहुंचने का समय निर्धारित होगा। इससे तीर्थयात्री लाइन में खड़े रहनेवाले समय का उपयोग बद्रीनाथ धाम के अन्य स्थलों के दर्शन के लिए भी कर सकेंगे।
हजारों श्रद्धालु पहुंचे
बाबा बदरीनाथ के दर्शन के लिए पिछले दो दिनों में हजारों भक्त यहां पहुंच चुके हैं। जैसे ही मंदिर के पट खुले बाबा बदरीनाथ का आशीर्वाद लेने के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी। हर तरहफ बर्फ की सफेद पहाड़ियों के बीच बना बद्रीनाथ का मंदिर एक अलग ही छटा बिखेरता है। जिसकी सजावट ने मंदिर में चार चांद लगा दिए। चार धाम की यात्रा करने के लिए यहां देश-विदेश से लाखों श्रद्धालुओं और पर्यटक आते हैं। इस साल चार धामों के लिए यात्रा की शुरुआत 18 अप्रैल से गंगोत्री और यमुनोत्री के पट खुलने के साथ ही हो गई थी।
6 महीने मनुष्य 6 महीने देवता करते हैं पूजा
मंदिर के कपाट बंद होने के बाद छह महीने तक भगवान बद्रीनाथ की पूजा नृसिंह मंदिर जोशीमठ में होती है। भक्तों को दर्शन दे रहे चारधामों में बैठे भगवान शीतकालीन दिनों के लिए अपने-अपने धामों से चले जाते हैं। दरअसल सर्दियों में इन मंदिरों तक जाने वाले मार्ग बर्फ से ढंक जाते हैं। चारों धाम तक जाने वाले रास्ते पूरी तरह से बंद हो जाते हैं। इसलिए भक्तों को दर्शन देने के लिए मंदिर में विराजमान भगवान धाम से छह महीने के लिए दूसरी जगह विराजते हैं।