देहरादूनः ये हाल उत्तराखंड के स्वास्थ्य विभाग का है। एक महिला चमोली से करीब 150 किलोमीटर डिलीवरी के लिए देहरादून पहुंच गई, लेकिन श्रीनगर के मेडिकल काॅलेज से लेकर ऋषिकेश के एम्स और जौली ग्रांट जैसे अस्पतालों में चक्कर काटते हुए उसको कहीं इलाज नहीं मिला। उनको देहरादून पहुंचाया गया। हर अस्पताल ने महिला के केस को क्रिटिकल बताया। हर किसी ने बहाना बनाया कि हमारे पास वेंटिलेटर नहीं और महिला को रेफर करते चले गए।
मामला चमोली के लंगासु गांव निवासी गर्भवती का है। जिसे एक अस्पताल से लेकर दूसरे अस्पताल तक भटकते रहे।। कहा गया कि मामला क्रिटिकल है और वेंटिलेटर की जरूरत पड़ेगी, पर वेंटिलेटर उपलब्ध नहीं है। हैरानी की बात ये है कि महिला की डिलीवरी सामान्य हुई।
चमोली के लंगासु गांव निवासी लखपत असवाल की पत्नी लक्ष्मी देवी को गुरुवार को प्रसव पीड़ा हुई। पर आसपास कहीं उपचार नहीं मिला। जिस पर परिजन उन्हें श्रीनगर बेस अस्पताल पहुंचे, जहां से उन्हें गंभीर बताकर श्रीनगर मेडिकल कॉलेज और वहां से एम्स ऋषिकेश रेफर कर दिया गया।
बताया गया कि वो श्रीनगर से एम्स पहुंचे, वेंटिलेटर की व्यवस्था नहीं होने पर उन्हें भर्ती नहीं किया गया। यहां से वह जौलीग्रांट अस्पताल आए, वहां भी वेंटिलेटर नहीं होने की बात कहकर उन्हें भर्ती नहीं किया जा सका। आखिरकार देहरादून के निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उनकी सामान्य डिलीवरी हुई।