साइकिलिंग महासंघ ट्रायल का मौका देगा
साइकिलिंग महासंघ उसे ट्रायल का मौका देगा और अगर वह सीएफआइ के मानकों पर थोड़ी भी खरी उतरती हैं तो उसे विशेष ट्रेनिंग और कोचिंग दी जाएगी जाएगी। ज्योति भी ट्रायल के लिए तैयार है। वो ये बात सुनकर खुश है कि उसे एक मौका मिलेगा। ज्योति लॉकडाउन में अपने पिता मोहसन पासवान को साइकिल पर बिठाकर एक हजार किमी से ज्यादा की दूरी आठ दिन में तय करके ग्रुरुग्राम से बिहार के दरभंगा पहुंची थी।
रोजाना 100 से 150 किमी साइकिल चलाई
ज्योति ने रोजाना 100 से 150 किमी साइकिल चलाई। वीएन सिंह ने कहा कि महासंघ हमेशा प्रतिभावान खिलाड़ियों की तलाश में रहता है और अगर ज्योति में क्षमता है तो उसकी पूरी मदद की जाएगी। वीएन सिंह ने स्वीकार किया कि 15 साल की बच्ची के लिए रोजाना 100 किमी से अधिक साइकिल चलाना आसान काम नहीं है। मैं मीडिया में आई खबरों के आधार पर ही बोल रहा हूं लेकिन अगर उसने सचमुच ऐसा किया है तो वह काफी सक्षम है।
ट्रायल के लिए तैयार
ज्योति के पिता ग्ररुग्राम में रिक्शा चलाते थे और उनके दुर्घटना का शिकार होने के बाद वह अपनी मां और जीजा के साथ गुरुग्राम आई थी और फिर पिता की देखभाल के लिए वहीं रुक गई। कोरोना के कारण लॉकडाउन की घोषणा हो गई और ज्योति के पिता का काम ठप पड़ गया। ज्योति ने पिता के साथ साइकिल पर वापस गांव का सफर तय करने का फैसला किया। ज्योति ने कहा कि अगर उन्हें मौका मिलता है तो वह ट्रायल के लिए तैयार है।