मामले में अभियोजन पक्ष की ओर से अधिवक्ता जेके जोशी ने अदालत को बताया कि शिकायतकर्ता महेन्द्र सिंह यादव ने अपनी पुत्री के पति सचिन, सास निर्मला व ससुर भगवत प्रसाद के खिलाफ 11 जून 2010 को पुलिस से शिकायत की थी।
बताया था कि बेटी सुषमा की शादी पांच अक्टूबर 2009 को सचिन के साथ हुई थी। शादी के बाद से ही आरोपी उसे दहेज के लिए प्रताडि़त कर रहे थे। दहेज की मांग पूरी न होने पर आरोपी अक्सर सुषमा के साथ मारपीट करते थे। इस बात की शिकायत कई बार सुषमा ने परिजनों से भी की थी।
एक जून 2010 को सुषमा ने अपनी मां को फोन पर कहा कि उसका पति सचिन व सास-ससुर उसके साथ मारपीट कर रहे हैं। जिसके बाद मां बेटी से मिलने पहुंची तो उसे बताया गया कि सुषमा ने आत्महत्या कर ली है। इस दौरान सुषमा का पति सचिन, सास निर्मला व ससुर भगवत प्रसाद घर से फरार थे। अभियोजन पक्ष की ओर से प्रस्तुत गवाह व साक्ष्यों के आधार पर आरोपियों को अदालत ने दोषी करार देते हुए सजा सुनाई।