संवाददाता। यमुनोत्री विधानसभा से दो बार जीत हासिल करने के बाद अब काबिना मंत्री प्रीतम पंवार यमनोत्री विधानसभा से पलायन के मूड में हैं। इसका वे ऐलान भी कर चुके है कि अबकी बार वे यमनोत्री की जनता से नहीं बल्कि धनोल्टी की जनता से वोट मांगेगे। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि आखिर वे पलायन क्यों कर रहे हैं ?
राज्य गठन के बाद 2002 में हुए पहले विधानसभा चुनाव में यमुनोत्री सीट से प्रीतम पंवार ने आजाद उम्मीदवार के रूप में ताल ठोकी और भारी बहुमत से जीत भी दर्ज की। साल 2007 में उन्होंने फिर चुनाव मैदान में उतरने का फैसला लिया लेकिन इस बार वे चुनावी रण हार गए। जनता ने कांग्रेसी प्रत्याशी केदार सिंह रावत को विधायक चुना। उसके बाद साल 2012 में प्रीतम ने फिर यमनोत्री विधानसभा से उत्तराखंड कांति दल के टिकट पर ताल ठोकी जीत हासिल की। उक्रांद कोटे से जीतने के बावजूद प्रीतम ने पीडीएफ का हिस्सा बनकर कांग्रेस को सरकार बनाने में मदद की और इस वफादारी के लिए कांग्रेस ने उन्हें कैबिनेट में शामिल कर लिया। बावजूद इसके इस मर्तबा प्रीतम ने यमुनोत्री से अपना मोहभंग का ऐलान कर दिया और पलायन करते हुए धनोल्टी की ओर बढ गए हैं।
पलायन की वजह क्या हो सकती है इस पर प्रीतम पंवार से ज्यादा कोई नहीं जान सकता। लेकिन यमुनोत्री विधानसभा के हर नुक्कड़ पर तो यही चर्चा हो रही है कि प्रीतम पंवार ने पॉवर में होने के बावजूद यमनोत्री के लिए अपनी पॉवर का इस्तमाल उस हिसाब से नहीं किया जिससे वे इस सीट पर और पॉवरफुल बनकर उभरते। माना जा रहा है कि प्रीतम ने अपने क्षेत्र से कोई खास प्रीत नहीं निभाई लिहाजा पंवार साहब क्षेत्र की जनता का मूड भांप गए हैं और रिस्क लेना मुनासिब नहीं समझ रहे हैं।
यमुनोत्री विधानसभा क्षे्त्र के सड़क से 10 किलो मीटर की दूरी पर बसे कुठार गांव के लोगों की माने तो 2012 में पंवार साहब ने वादा किया था कि वे जब दूसरी बार कुठार आएंगे तो गाड़ी में सवार हो कर ही आएंगे। बताते हैं कि उस समय कुठार के 90 फीसद मतदाताओं ने प्रीतम पंवार की झोली वोटों से लबालब कर दी थी। हालात बदले प्रीतम पंवार MLA से काबिना मंत्री बने और पंवार साहब ने अपनी गाड़ी यमनोत्री के कुठार गांव के बजाय धनोल्टी विधानसभा की ओर मोड़ दी। पांच सालों में कैबिनेट मंत्री प्रीतम पंवार कुठार में न तो सड़क पहुंचा पाए न खुद आना मुनासिब समझा। खबर है कि गांव वालों ने इस बार प्रीतम पंवार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए मुखालफत कर दी है। माना जा रहा है कि प्रीतम पंवार ग्रामीणों की इस नाराजगी से अच्छी तरह वाकिफ हैं।
बहरहाल बड़ा सवाल ये है कि यमुनोत्री से अपना मोहभंग कर अब की बार धनोल्टी से आजाद उम्मीदवार के तौर पर ताल ठोकने का दावा करने वाले प्रीतम पंवार धनोल्टी मे अपनी मुस्कराहट से धनोल्टी की जनता का दिल जीत पा्एगे। सवाल ये भी है क्या धनोल्टी में प्रचार करते हुए प्रतीम को यमुनोत्री के कुठार गांव की जनता और उससे किए वायदों की याद भी सताएगी।