नैनीताल (मोहम्मद यासीन) : उत्तराखण्ड के धारचूला में मौत के रास्ते की इन तस्वीरों को देखकर आप भी सिहर उठेंगे। पतले संकरी रास्ते से हररोज गुजतरते इन ग्रामीणों की जान हथेली में रहती है। उत्तराखण्ड बनने के 19 वर्षों बाद भी इस क्षेत्र के विकास के नाम पर केवल वायदे ही दिए गए हैं.
सीएम और सांसद भी पहुंचेंगे कार्यक्रम में
पिथौरागढ़ जिले के धारचूला की व्यास वैली में बनी इस पखडण्डी के रास्ते ही कई गांव के लोग अपने घर पहुँचते हैं। इस साक्षात मौत के रास्ते से दस ग्राम सभाओं के सैकड़ों ग्रामीण आते जाते हैं। ये सब लोग इस क्षेत्र में होने वाली व्यास ऋषि की पूजा और मेले के लिए जा रहे हैं। यहां बूढे, बच्चे और महिलाएं इस जोखिम भरे रास्ते को पार करने को मजबूर हैं, क्योंकि यहां का दूसरा रास्ता केवल आसमान से होकर गुजरता है। व्यास ऋषि के नाम पर आयोजित मेले की स्वर्ण जयंती आगामी 15 से 17 अगस्त तक मनाई जानी तय है। इस मेले में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत और सांसद अजय टम्टा के पहुंचने का कार्यक्रम तय है। हालांकि वो हैलीकॉप्टर से आसानी से पहुँच जाएंगे।
एक तरफ खड़ा पहाड़ तो दूसरी तरफ बहती काली नदी
सोसा नीवासी खुशाल गरखाल बताते हैं कि सरकार की अनदेखी के बाद इस तीन से चार फुट की खस्ताहाल पखडण्डी से सैकड़ों ग्रामीणों को गुजरना पड़ रहा है। यहां के लोग एक दूसरे को मदद कर इस खतरनाक रास्ते को पार कराते हैं। एक तरफ खड़ा पहाड़(हैंगिंग रॉक)तो दूसरी तरफ तेज बहती काली नदी। पैर फिसला तो मौत निश्चित। कुछ महिलाएं तो डरकर इस रास्ते को लोगों की हौसलाअफजाई के बाद ही पार कर पाती हैं। पार करने वाले व्यक्ति को रस्सी बांधकर दूसरी रस्सी के सहारे स्थानीय लोगों द्वारा पार कराया जाता है। यहां से सामान भी पार कराया जाता है। भारी सामान कैसे पार होता है आप खुद ही अनुमान लगा सकते हैं। सरकार कब जागेगी, इस यक्ष सवाल का जवाब केवल भगवान के पास है ।