बागेश्वर- सिस्टम के आला अधिकारियों और कर्मचारियों के बीच टकरार कभी कभी मौत के मुहाने तक पहुंच जाती है। अधिकारियों के उत्पीड़न से रोजगार सहायक कैलाश चन्द्र आर्या की मौत से एक बार फिर सिस्टम पर सवाल उठने लगे हैं। आरोप है कि मनरेगा के सोशल ऑडिट के नाम पर रोजगार सहायक को मानसिक तौर पर इतना परेशान किया गया की उसे आत्महत्या जैसा कदम उठाना पड़ा।
मनरेगा ऑडिट का था दबाव
बागेश्वर जिला मुख्यालय से करीब 40 किलोमीटर दूर घटबगड़ न्याय पंचायत में मनरेगा के कार्यों का ऑडिट चल रहा है। इसके लिये केन्द्र सरकार से एक टीम आयी हुई है। बताया जा रहा है कि ऑडिट के काम में कुछ निजी संस्था के कर्मचारी भी शामिल हैं। ऑडिट के नाम पर रोजगार सहायकों पर विभागीय अधिकारियों द्वारा काम को पूरा करने का दबाव डाला जा रहा था।
ऑडिट टीम द्वारा उत्पीड़न करने का आरोप
परिजनों का आरोप है कि केन्द्र से आयी टीम भी मनरेगा सहायकों को मानसिक तौर पर परेशान कर रही थी। घटबगड़ न्याय पंचायत में मनरेगा कार्यों के ऑडिट के दौरान अधिकारियों और टीम के सदस्यों ने मनरेगा सहायक कैलाश चन्द्र आर्या को इतना परेशान किया कि उसने सरयू नदी में कूदकर जान दे दी।
सुसाइड करने से पहले कपड़ों में भरा पत्थर, ताकि न मिले शव
कैलाश चन्द्र आर्या ने सुसाइड करने से पहले अपने कपड़ों में पत्थर के टुकड़े भर दिया था ताकि डूबने के बाद वह उपर ना आ सके। कैलाश आर्या ने सुसाइड करने की सूचना बाकायदा दो दिन पहले अपने दोस्तों को मैसेज के जरिए भी की थी। काफी तलाशी के बाद सरयू नदी से कैलाश का शव बरामद किया गया। शव को पोस्टमार्टम के लिये बागेश्वर जिला चिकित्सालय भेज दिया गया।
बागेश्वर में अधिकारियों, कर्मचारियों और जनप्रतिनिधियों के बीच टकरार की खबरें आम होती जा रहीं हैं। पिछले दिनों उरेड़ा के परियोजना अधिकारी और क्षेत्र पंचायत सदस्य के बीच तीखी नोकझोंक हुयी थी। मामले को बढ़ता देख जिलाधिकारी ने मुख्य विकास अधिकारी को जांच के आदेश दिये, लेकिन एक सप्ताह बाद भी मामला ठंडे बस्ते में ही है।