पौड़ी गढ़वाल : उत्तराखंड के जनपद पौड़ी गढ़वालके बीरोखाल ब्लॉक के देवकुंडाई गांव की बहादुर बेटी राखी को आखिर कौन भूल सकता है जो अपने भाई को बचाने के लिए गुलदार से भिड़ गई और गुलदार के जबड़ों से भाई को खींच लाई और खुद घायल हो गए। राखी की इस बहादुरी को सीएम से लेकर मंत्री-विधायक और पूरे उत्तराखंड की जनता सलाम कर रही है और इस बहादुरी के लिए राखी को 26 जनवरी को राष्ट्रीय वीरता पुरुस्कार मार्कंडेय पुरस्कार से सम्मानित किया गया
बता दें कि शनिवार देर शाम को भारतीय बाल कल्याण परिषद की ओर से दिल्ली में भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमे उत्तराखंड की बहादुर बेटी राखी रावत को आसाम राइफल्स के ले. कर्नल रामेश्वर ने सम्मानित किया। ये देख राखी के मां और पिता की खुशी से आंखें भर आई। उन्होंने बेटी को गोद में उठा लिया।
देश की जानी मानी हस्तियों ने राखी के साथ खिंचाई सेल्फी
बता दें कि राखी को राष्ट्रीय वीरता मैडल, प्रशस्तिपत्र के साथ 40 हजार रुपये का चेक देकर सम्मानित किया गया।वहीं बता दें कि इस दौरान देश की जानी मानी हस्तियों ने राखी के साथ सेल्फी ली। इस दौरान राखी की बहादुरी का किस्सा भी सुनाया गया जिसे सुन वहां मौजूद हर कोई दंग रह गया औऱ लोगों ने राखी के साहस की सराहना करते हुए खूब तालियां बजाई।
6 जनवरी को मिलेगा वीरता पुरुस्कार
आपको बता दें कि राखी महज 11 साल की है जो की 5वीं कक्षा में पढ़ती है। राखी ने छोटी सी उम्र में वो काम कर दिखाया जिसको मात्र सुनकर अच्छो-अच्छों के पसीने छूट जाए। राखी अपने छोटे भाई को गुलदार के मूंह से बचा लाई थी और इसका डंका पूरे प्रदेश और देश में बजा। और इसी बहादुरी को देखते हुए 26 जनवरी को बहादुर बहन राखी को वीरता पुरस्कार के तहत मार्कण्डेय पुरुस्कार मिलेगा। राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार के लिए चयन होने के बाद राखी को दिल्ली पहुँच चुकी है।आपको बता दे राखी के ठहरने का सारा इंतजाम भारतीय बाल कल्याण परिषद करेगा।
भाई को बचाया, खुद तेंदुए के हमले को सहती रही और खून से लथपथ हो गई।
घटना 4 अक्टूबर, 2019 की है। जब राखी रावत है जो बीरोखाल ब्लॉक में रहती है। यह क्षेत्र वैसे भी वीरांगना तीलू रौतेली के बहादुरी भरे किस्सों के चलते ख्यात रहा है। अब इसमें एक और मिसाल जुड़ गई है। राखी प्राइमरी स्कूल देवकुंडाई में 5वीं कक्षा की छात्रा है। घटना वाले दिन वह अपनी मां शालिनी देवी और 4 साल के भाई को कंधे पर बैठाकर खेत से वापस लौट रही थी। तभी वहां घात लगाकर बैठे तेंदुए ने अचानक हमला कर दिया। राखी के साथ उसका छोटा भाई भी था। तेंदुए के हमले से दोनों वहीं नीचे गिर गए। तेंदुआ ने दोनों पर हमला किया। राखी ने जैसे-तैसे भाई को बचाते हुए अपने नीचे रख लिया और खुद तेंदुए के हमले को सहती रही और खून से लथपथ हो गए।
बहन ने निभाया राखी का फर्ज
मां ने चीख-पुकार मचाई तो तेंदुआ वहां से भाग गया। राखी तब भी भाई को संभालती रही। भाई को सही सलामत देख राखी को सुकून मिला। लेकिन खुद बुरी तरह घायल हो गई और थोड़ी दूर चलकर बेहोश हो गई। राखी के सिर की हड्डी में फ्रैक्चर हो गया था। शरीर पर कई जगह तेंदुए के दांतों व पंजों के हमले के निशान थे जिनको देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि गुलदार ने किस प्रकार उस पर हमला किया और किस साहस के साथ उसने अपने भाई को बचाया और राखी का फर्ज निभाया. वहीं इस बहादुरी को देखते हुए उत्तराखंड की बेटी राखी को वीरता पुरुस्कार से नवाजा गया।