देहरादून(मनीष डंगवाल)- उत्तराखंड के सैंकडों गांव की खेती आज बंजर पड़ी है…साल दर साल उत्तराखंड के गांवों से जहां तेजी से पलायन बढ़ता जा रहा है वहीं पलायन होने की वजह से वह खेत जो कभी फसलों से लहराया करते थे बंजर पड़ गए हैं। तेजी से बंजर पड़ती भूमि का ग्राफ प्रदेश में बढ़ता जा रहा रहा है। हाल ये है कि जो लोग कभी खेतों को बंजर नहीं देख पाते थे उनके खेतों में कांटे जमे हुए हैं। पहाड़ों में आज आधी से ज्यादा खेती बंजर पड़ चुकी है..वजह है खेती से किसानों की इतनी आय पहाड़ों में होती नहीं कि अपना जीवन यापन कर पाएं…दो वक्त की रोटी की चाह सही तरह से जीवन यापन हो सके इसको लेकर आज पहाड़ खाली होते जा रहे हैं। लेकिन पहाड़ में कैसे पलायन रोक जाए जिससे किसानों को पहाड़ में ही रोका जाएं इसके लिए पूववर्ती सरकार के साथ त्रिवेंद्र सरकार ने भी काफी आत्म मंथन किया है।
हेम्प की खेती से पलायन रूकने की त्रिवेंद्र सरकार को आस
उत्तराखंड में खेती को सबसे ज्यादा नुकसान जंगली जानवर पहुंचाते हैं…हेम्प की खेती की सबसे बड़ी खासियत यही है कि हेम्प की खेती को जंगली जानवर कभी नुकसान नहीं पहुंचाते हैं,साथ ही हेम्प की खेती के लिए पानी की ज्यादा आश्यकता नहीं होती है। कही भी इसे किसी भी जगह इसे आसानी से उगाया जा सकता है। उत्तराखंड के बंजर पड़े खेतों में अगर किसानों ने हेम्प की खेती को उगाया तो उत्तराखंड के किसानों की किसमत बदल सकती है और पलायान रूकने में इसका सीधा असर पड़ सकता है। उत्तराखंड की त्रिवेंद्र सरकार को आस है कि हेम्प की खेती से उत्तराखंड में पलायन पर अंकुश लगेगा।
सीएम के आद्यौगिक सलाहकार जुटे हैं मिशन में
उत्तराखंड में हेम्प की खेती को बढ़ावा देने के लिए मुख्यमंत्री के अद्यौगिक सलाहकार डाॅ केएस पंवार इसे एक मिशन के रूप में ले रहे हैं,यही वजह है कि हेम्प एसोशिएशन को साथ केएस पंवार ने पौंड़ी गढ़वाल के बिलखेत में 4 पाॅली हाऊस के अंदर एक हजार किलों बीच कनाड़ा से लेकर ट्रायल के तौर पर 400 नाली जमीन पर हेम्प की खेती की शुरूवात कर दी है .
पौड़ी,रूद्रप्रयाग,अल्मोड़ा और पिथौरागढ़ खेती के लिए चिन्हित
केएस पंवार का कहना कि जैसे ही बिलखेत में हेम्प के पौधे से बीच तैयार हो जाएंगे. प्रदेश के चार अन्य स्थान पर हेम्प की खेती शुरू कर दी जाएगी। पौड़ी,रूद्रप्रयाग,अल्मोड़ा और पिथौरागढ़ में इसके लिए जगह चिन्हित भी की जा चुकी है.
किसानों को दुगना फायदा
केएस पंवार का कहना कि हेम्प की खेती से किसानों को दो गुना फायदा है. पहला तो ये कि किसान अपनी जमीन को लीज पर एक साल के लिए हेम्प एसोशिएशन को देंगे साथ ही लीज पर तय कीमत के अलावा किसानों को हेम्प की खेती से मुनाफे का भी प्रतिशत हेम्प ऐसोशिएशन देगा। स्थानीय स्तर पर इसे रोजगार भी पैदा होगा,बिल खेत में करीब 50 लोंगों को स्थानीय स्तर पर इसे रोजगार मिल चुका है। किसानों को हेम्प की खेती करने के लिए प्रेरित किया जाएगा इसके लिए सरकार अक्टूबर में विशेष प्रशिक्षण भी देने जा रही है,जिसमें कनाड़ा और जर्मनी के हेम्प विशेषज्ञ प्रशिक्षण देंगे। अभी हेम्प एसोशिएशन की टीम कई देशों के दौरे पर कार्यक्रम की रूप रेख तैयार करने गई है।
हेम्प से निर्मित होते है कई प्रोडक्ट, बीज की कीमत 1200 प्रति किलो
उद्यान विभाग के निदेशक बीएन नेगी का कहना है कि हेम्प के पौधे से कई प्रोडक्ट तैयार होते हैं जिससे पौधे को उत्तराखंड में उगाया जा रहा है…उसके बीज की कीमत करीब 1200 प्रति किलों है, हेम्प के बीज से कई तरह के आॅयल तैयार किए जाते हैं। हेम्प आॅयल से पेंट भी बनाया जाता है। हेम्प के बीज से दवाईयां भी बनाई जाती है। इसके साथ ही हेम्प के रेशे से कपड़े,कागज बनाए जाते हैं. तो वही कार की बाॅडी बनाने में भी प्रयोग किया जाता है. यानी हेम्प का पूरा पौधा उपयोगी साबित होता है। और उत्तराखंड में अगर किसान हेम्प की खेती करता है तो केवल किसान को अपनी जमीन इसके लिए देनी होगी बाकि खेती करने की जिम्मेदारी शुरूवात में हेम्प एसोशिएशन की होगी। एक अनुमान के मुताबिक प्रति हेक्टियर जमीन पर 6 महिने में एक किसान को 1 लाख 50 हजार का फायदा है और जितने हेक्टियर जमीन होगी उतना गुना ज्यादा मुनाफा किसान को होगा।
प्रयास सफल हुआ तो बदली जाएंगी तकदीर
उत्तराखंड में अगर हेम्प की खेती को करने का प्रयास सफल हुआ तो प्रदेश की तकदीर इससे बदल सकती है,क्योंकि अगर खेती से पलायन रूकना शुरू हुआ तो जो लोग अपनी खेती छोड़कर शहर में महज गुजर बसर कर रहे हैं, वह रिवर्स पलायन के लिए तैयार हो जाएंगे. क्योंकि अभी जो लोग उत्तराखंड के शहरों में रह रहे हैं उनकी जुबान पर यहीं चीज रहती है कि अगर उन्हे अपने घर में रोजगार का साधन मिल जाए तो वह शहर छोडकर अपनी मातृ भूमि का रूख कर लेंगे। और अगर सही में सरकार ने इस दिशा में पूरी प्रतिबद्धता के साथ काम किया तो वो दिन दूर नहीं होगा जब उत्तराखंड में हेम्प की खेेती से किसानों के चेहरे पर खुशी लहर होगी और लोग खुशी-खुशी रिवर्स पलायन कर रहे होंगे।