देहरादून : एक पिता को खोने का दर्द बच्चों के अलावा कौन समझ सकता है. एक दो साल का बच्चा भी जब मां को रोता देखता है तो वो भी रो पड़ता है फिर ये तो फौजी के बच्चे हैं, जो आए दिन शहादत की अनेकों खबरें पढ़ते-देखते हैं लेकिन ये बच्चे मानने को तैयार नहीं कि उनके पिता शहीद हो गए क्योंकि इन बच्चों को पिता का पार्थिव शरीर नहीं सौंपा गया।
जब हमारे संवाददाता इनके घर पहुंचे और इनसे बात करनी चाही तो फौजी राजेंद्र नेगी की बेटी कुछ न बोल पाए. बस उसकी आंखों से आंसू ही छलकते रहे। बेटा भी मूंह से एक शब्द नहीं निकाल पाया। क्योंकि उन्हें पता है कि एक पिता को खोने का दर्द क्या है। पिता का पार्थिव शरीर ताबूत में आता तो शायद एक पल के लिए बच्चों को पिता पर गर्व होता कि पिता देश के लिए शहीद हुए लेकिन जब तक पिता का पार्थिव शरीर ही परिवार को न सौंपा गया हो तो वो पत्नी वो बच्चे कैसे मान लें कि उनके पिता अब दुनिया में नही हैं।
आपको बता दें कि हवलदार राजेंद्र सिंह नेगी 8 जनवरी को अपनी पोस्ट गुलमर्ग(जम्मू-कश्मीर) से लापता हो गए थे। सेना ने बयान दिया कि बर्फ में पैर फिसलने से वो पाक की ओर जा गिरे हैं जिनको ढूंढने की कोशिश जारी है। सेना ने कई सर्च ऑपरेशन चलाए जाने का दावा किया। अब 6 महीने बीत गए लेकिन जवान का कुछ पता नहीं चलने पर सेना ने जवान राजेंद्र नेगी को शहीद घोषित कर दिया है।
कैसे मान लूं मैं मेरा पति शहीद हो गया- पत्नी
लेकिन हवलदार राजेंद्र नेगी की पत्नी और बच्चे ये मानने को तैयार नहीं हैं कि उनका पति और पिता शहीद हो गया है। शहीद की पत्नी का कहना है कि वो मान लेगी कि उनका पति शहीद हो गया है. शहीद की पत्नी ने कहा कि मेरे जैसे कई महिलाओं के पति देश की रक्षा करते हुए शहीर हुए लेकिन मैं कैेसे मान लूं कि मेरा पति शहीद हो गया है। मैं तब विशवास करुंगी जब मुझे पति का पार्थिव शरीर मिलेगा। शहीद की पत्नी ने पति के पाकिस्तान के कब्जे में होने का दावा किया है।
केंद्र की मोदी और राज्य की त्रिवेंद्र सरकार से अपील
आपको बता दें कि राजेंद्र नेगी 11वीं गढ़वाल रायफल में गुलमर्ग में पोस्ट में तैनात थे जहां से वो लापता हुए। हवलदार राजेंद्र के तीन बच्चे हैं दो बेटियां और एक बेटा जो मायूस हैं। जवान का घर देहरादून के अंबीवाला में है जहं आज मायूसी छाई है। हमारी राज्य की त्रिवेंद्र और केंद्र की मोदी सरकार से अपील है कि इस सेना के जवान की पत्नी को या तो उसका पति ढूंढकर लाकर दो या उसका पार्थिव शरीर ही सही वो लाकर दो..ये मांग राजेंद्र नेगी की पत्नी और बच्चों की भी है।
कहां गए वो मंत्री-विधायक जिन्होंने खूब राजनैतिक रोटियां सेकी
अब कहां हैं वो मंत्री-विधायक, अब कहां है वो सीएम जो प्रदेश की जनता के लिए और सेना की जवानों की तारीफ करते नहीं थकते। क्या एक जवान के जान की कीमत इतनी सस्ती है कि सब चुप हैं। लापता होने की खबर पर तो सबने खूब राजनैतिक रोटियां सेकी है लेकिन अब जब सेना की ओर से इतनी बड़ी