देहरादून से रोजाना करीब एक हजार किलो प्लास्टिक कचरा उठाने का न सिर्फ इंतजाम हो गया है, बल्कि इससे प्रतिदिन 800 लीटर डीजल भी तैयार किया जाएगा। आज केंद्रीय मंत्री हर्षवर्धन सिंह ने सीएम की मौजदूगी में संयंत्र का शुभारंभ किया.
आपको बता दें कि उत्तराखंड में ये शुरुआत भारतीय पेट्रोलियम संस्थान की तकनीक से हो पाई है। इसके लिए गैस अथॉरिटी ऑफ इंडिया लि. (गेल) ने संस्थान को करीब 13 करोड़ रुपये की वित्तीय मदद भी की है।
केंद्रीय मंत्री हर्षवर्धन ने प्रेस कांफ्रेंस करके दी इसकी जानकारी
केंद्रीय मंत्री हर्षवर्धन ने इसकी जानकारी प्रेस कांफ्रेंस करके दी है. जानकारी दी कि आईआईपी देहरादून में प्लास्टिक से डीजल बनाने का संयंत्र स्थापित किया गया है. सफलतापूर्वक देश को बड़ा प्लांट समर्पित करने बड़ा मौका मिला है. उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया प्लास्टिक फ्री बनाने की ओर प्रयासरत है. प्लास्टिक पर्यावरण के लिए बेहद घातक है जिसको देखते हुए आईआईपी के वैज्ञानिकों ने नई खोज की औऱ बड़ी उपलब्धि हासिल की.
एनजीओ की मदद से प्लास्टिक कचरे को किया जाएगा इकट्ठा
जानकारी दी गई कि एनजीओ की मदद से प्लास्टिक कचरे को इकट्ठा किया जाएगा जिससे लोगों को रोजगार मुहैया होगा. इससे बड़ा 10 टन का प्लांट बनेगा और इसका खर्चा तीन साल में पूरा हो जाएगा जिससे पर्यावरण संरक्षण के लिए बड़ी मदद मिलेगी.
देश में पेट्रोलियम पदार्थों को लेकर अन्य देशों पर निर्भरता कम होगी-हर्षवर्धन
उन्होंने बताया कि कई वर्षों के शोध के चलते बायोफ्यूल के बाद आईआईपी अब प्लास्टिक से बड़े पैमाने पर डीजल व पेट्रोल का उत्पादन करने जा रहा है। इससे देश में पेट्रोलियम पदार्थों को लेकर अन्य देशों पर निर्भरता कम होगी और देश का कचरा साफ होगा और इकोनॉमिक ग्रोथ बढ़ेगा. केंद्रीय मंत्री हर्षवर्धन ने सभी लोगों से सहयोग की अपील की।
सीएम ने सोशल मीडिया पर शेयर की तस्वीरें
वही सीएम ने सोशल मीडिया पर जानकारी देते हुए कुछ तस्वीरें शेयर की औऱ लिखा कि केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. हर्षवर्धन जी के साथ IIP देहरादून में वेस्ट प्लास्टिक से डीजल बनाने वाले संयंत्र का शुभारंभ किया। इस संयंत्र से प्रतिदिन 1 टन प्लास्टिक का निस्तारण किया जा सकेगा। प्लास्टिक मुक्त समाज की दिशा में यह महत्वपूर्ण कदम साबित होगा। यह संयंत्र गेल (इंडिया) लिमिटेड और सीएसआईआर-आईआईपी, देहरादून द्वारा स्थापित किया गया है।
इस तरह तैयार होता है ईंधन
प्लास्टिक कचरे को पहले सुखाया जाता है। इसके बाद इसे सीलबंद भट्टी में डालकर ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में तेज आंच में पकाया जाता है। जिससे प्लास्टिक भाप में परिवर्तित हो जाता है। इस भट्टी से एक पाइप जुड़ा होता है, जो एक वाटर टैंक में जाता है और भाप को इसमें स्टोर किया जाता है। इस टैंक की सतह में जमा पानी को छूते हुए भाप को एक अन्य टैंक में भेजा जाता है। इस प्रक्रिया में भाप ईंधन बन जाती है। इसे रिफाइन कर पेट्रोल या डीजल बनाया जा सकता है। हालांकि पूरी भाप तरल अवस्था में नहीं आ पाती है और वाटर टैंक के ऊपरी हिस्से में जमा हो जाती है। इसका प्रयोग एलपीजी बनाने में किया जाता है।