देहरादून- उत्तराखंड राज्य मे भाजपा प्रचंड बहुमत में है ऐसे मे हर एक की नजर इस पर है कि राज्यसभा सांसद महेंद्र माहरा के कार्यकाल अप्रैल में खत्म होने के बाद राज्यसभा कौन जाएगा। स्थानीय नेता या कोई पैराशूट उम्मीदवार।
हालांकि विधानसभा चुनाव से कुछ पहले बदले सियासी समीकरणों से राज्य में भाजपा की सूरत भाऩुमति का कुनबा वाली हो गई है। ऐसे में आलाकमान के सामने सबसे बड़ी दिक्कत खड़ी हो गई है कि किसे राज्य सभा भेजा जाए। एक अऩार सौ बीमार जैसी हालत से जूझती भाजपा के सामने उम्मीदवार का चयन पहेली सा बन गया है।
रानीखेत से विधानसभा चुनाव हार चुके प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट को भेजा जाए या फिर राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के बेहद करीबी माने जाने वाले राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी अनिल बलूनी को भेजा जाए। या कांग्रेस से नाता तोड़ भाजपा से रिश्ता जोड़ चुके बहुगुणा फैमली एंड टीम के किसी सदस्य को भेजा जाए। या विधानसभा चुनाव के दौरान चौबट्टाखाल सीट महाराज को कुर्बान कर चुके राष्ट्रीय सचिव तीरथ सिंह रावत को भेजा जाए। या राज्य के किसी ऐसे उद्यमी परिवार के सदस्य को विजयी भव का आशीर्वाद दिया जाए जो आज से पहले हर आड़े वक्त में पार्टी के साथ खड़ा रहा। या फिर सूबे से बाहर के ही किसी ऐसे बेरोजगार क्षत्रप का राजतिलक किया जाए। चेहरे का चुनाव को लेकर भाजपा आलाकमान पशोपेश में है।
भाजपा के पास ऑप्शन इतने ज्यादा हो गए हैं कि उसे कुछ सूझ ही नहीं रहा है। हालांकि इस बीच भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट साफ कर चुके हैं कि राज्य सभा भेजने को लेकर उनके नाम की कानापूसी सिर्फ कोरी अफवाह है। उधर तीरथ सिंह रावत पहले कह चुके हैं कि वो पार्टी के सिपाही है हर आदेश सिर माथे पर है।
बहरहाल बड़ा सवाल ये है कि आखिर जहां अभी टीएसआर कैबिनेट में ही स्थान रिक्त हों, एक साल पूरा होने के बावजूद दायित्वों की राह ताकते कार्यकर्ताओं को दायित्व न बंटे हों। ऐसे माहौल में राज्य सभा के लिए उम्मीदवार चुनना भाजपा के लिए शायद भूसे में सुई खोजना जैसा तो है ही उससे भी ज्यादा साइड इफैक्ट का भी डर है कि. कहीं ऐसा न हो जाए कि जिस नाम पर मुहर लगे उससे कईयों को बदहजमी हो जाए।
हालांकि मीड़िया रिपोर्ट्स की माने तो अपने नाम को राज्य सभा की रेस में कोरी अफवाह करार देने वाले प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट कह चुके हैं कि राज्य सभा वहीं जाएगा जिसके नाम पर भाजपा का केंद्रीय पार्लियामेंट्री बोर्ड मुहर लगाएगा। राज्य सरकार का इसमें कोई किरदार नहीं है।