देहरादून : जौलीग्रांट एयरपोर्ट के विस्तार के लिए और इस एयरपोर्ट को अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा में तब्दील करने 10 हजार से ज्यादा पेड़ों की बलि चढ़ाई जाएगी। जी हां सरकार एयरपोर्ट के आसपास मौजूद थानो वन क्षेत्र के जंगल को साफ करने की तैयारी में है जिसके दायरे में लगभग 10 हजार पेड़ आ रहे हैं। बता दें कि एयरपोर्ट के विस्तार के लिए लगभग 217 एकड़ वन भूमि इसके दायरे में आ रही है जिस पर 10 हजार से अधिक हरे वृक्ष हैं, उस भूमि का अधिग्रहण किया जाना प्रस्तावित है।
आपको बता दें कि सरकार थानो वन क्षेत्र की तरफ हवाई अड्डे के लिए सरकार आस पास के जंगल को साफ करने की तैयारी में है जिसमे कई प्रमुख पेड़ों को भी काटा जाएगा। इसके दायरे में 10 हजार से ज्यादा पेड़ आ रहे हैं। इसके लिए सरकार ने पहले ही अनापत्ति दे दी है. लेकिन देहरादून में पर्यावरण पर काम करने वाले युवाओं के सबसे बड़े सामाजिक संगठन मैड MAD (making a difference) ने थानो के जंगल को बचाने के लिए आवाज बुलंद कर ली है। संगठन ने प्रमुख वन संरक्षक को ज्ञापन सौंपा। प्रमुख वन संरक्षक ने कहा कि इस हवाई पट्टी का विस्तार पर्यटन के विकास के लिए किया जा रहा है। लेकिन संगठन पेड़ों के कटने नहीं देगा ऐसा मैड के सदस्यों ने ठानी है।
थानों के जंगल में हैं ये-ये प्रमुख पेड़
आपको बता दें कि थानों के इस जंगल में सॉल, सागौन, बेलपत्र, अर्जून, पापड़ी, पीपल और बरगद के भी कुछ पेड़ हैं, यही नहीं इस जंगल में घ्वीड़, चीतल, रैपटाइल यानी सांप, कई प्रकार चिड़िया और तितलियां दिखाई देती हैं, ऐसे में वन एवं पर्यावरण मंत्रालय, वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया, फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट के अलावा वाडिया इंस्टीट्यूट ने क्या अध्ययन किया है, इसको आम जनमानस के समुख नहीं रखा गया है.
कहा- दून घाटी के इको सिस्टम पर बुरा असर पड़ेगा, दी चेतावनी
विरोध कर रहे लोगों का कहना है कि इससे दून घाटी के इको सिस्टम पर बुरा असर पड़ेगा. कहा कि इससे पहले हम ऑल वेदर रोड़ के निर्माण के लिए भी कई पेड़ों को खत्म कर चुके हैं। सबने प्यापक आंदोलन की चेतावनी दी गै। बीटीडीटी ग्रुप के लोकश ओहरी ने आरोप लगाया कि बिना पर्यावरणीय अध्ययन के थानो जंगल को काटा जाना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है. दूनघाटी के अधिकतर पर्यावरणीय समूहों से जुड़े विशेषकर युवाओं ने जौलीग्रांट एयर पोर्ट के प्रकाश पंत मार्ग पर शांतिपूर्ण प्रदर्शन भी किया था. यहां 20 से ज्यादा पर्यावरण लवर संगठनों ने रैली निकाली थी उनका एक ही नारा है कि वो पेड़ को कटने नहीं देंगे चाहे कितना भी बड़ा आंदोलन करना पड़े.