नई दिल्ली : चीनी कंपनियों की मिलीभगत से फर्जी कंपनियां खोलकर 1000 करोड़ रुपये का हवाला करने के मामले में ईडी ने आयकर विभाग से दस्तावेज मांगे हैं. इस मामले में कुछ चीनी नागरिकों के शामिल होने की बात भी सामने आ रही है और एक बैंक के बड़े अधिकारी और कर्मचारी भी इस घोटाले में शामिल बताए जा रहे हैं. आयकर विभाग ने इस मामले में मंगलवार को छापेमारी की थी. 1000 करोड़ रुपये के घोटाला रैकेट के मुख्य आरोपी चार्ली से आयकर विभाग की लगातार पूछताछ जारी है और उसके सहयोगियों के ठिकानों पर आयकर विभाग अभी भी छापेमारी कर रहा है. आयकर विभाग को अब तक की जांच के दौरान पता चला है कि चार्ली और उसके सहयोगियों ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर कंपनियां खोलकर लगभग 1000 करोड़ रुपये का हवाला कारोबार किया है और इस कारोबार में कुछ भारतीय कंपनियों समेत एक बड़े बैंक के अधिकारी कर्मचारी भी शामिल हैं.
खुफिया विभाग के एक आला अधिकारी ने बताया कि चार्ली को सितंबर 2018 में मणिपुर से बनवाए गए फर्जी पासपोर्ट के साथ दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने गिरफ्तार किया था. बाद में चार्ली जमानत पर रिहा हो गया था और गुरुग्राम में एक कंपनी बनाकर उसने अपना कारोबार फिर से शुरू कर दिया था. आयकर विभाग चार्ली की गतिविधियों पर लगातार निगाह रख रहा था. इनकम टैक्स को इस बात की जानकारी मिली थी कि देश में हवाला के जरिये करोड़ों का कारोबार हो रहा है और इसमें चीन के नागरिक भी शामिल हैं. इसी जानकारी के आधार पर इनकम टैक्स ने दिल्ली, गाजियाबाद और गुरूग्राम में रिटेल शॉप, बैंक अधिकारी, चार्टेड अकांउटेंट और व्यापारियों के 24 ठिकानों पर ये छापेमारी की.
इस छापेमारी में पता चला कि चीन के लोग भारत में बैंक अधिकारियों, चार्टेड अकाउंटेंट के साथ मिलकर हवाला और मनी लॉन्ड्रिंग का कारोबार चला रहे हैं. इन चीनी नागरिकों के कहने पर फर्जी कंपनियां बनाईं गईं और 40 बैंक खाते खोले गए, जिसके जरिये 1000 करोड़ का हवाला का कारोबार किया. इन फर्जी कपंनियों के जरिये 100 करोड़ रुपये निकाले गये और फिर उनसे देशभर में रिटेल शोरुम खोले गये. खुफिया एजेंसी के एक आला अधिकारी ने बताया कि एक बार फिर चार्ली और उसके संबंधों की जांच शुरू कर दी गई है और चार्ली के बारे में फिर से सूचनाएं इकट्ठा करने का काम किया जा रहा है.