ऋषिकेश- भारतीय सभ्यता और संस्कृति को बनाए रखने में संत-महात्माओं की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। पहले जब संचार के साधन नहीं थे, संत-महात्मा देशाटन करते रहते थे और सांस्कृतिक एकता का संदेश भारत के सभी भागों में पहुंचाते थे।योग के माध्यम से भारतीय संस्कृति का पुनरूत्थान हो रहा है। आज सभी देशों ने योग के महत्व को स्वीकार किया है। ये बात सूबे के राज्यपाल के.के.पाल ने ऋषिकेश में आयोजित अन्तरराष्ट्रीय योग महोत्सव के समापन समारोह को सम्बोधित करते हुए कही।
इस मौके पर राज्यपाल ने ‘अंतर्राष्ट्रीय योग महोत्सव’ के साथ ही कार्यक्रम में उपस्थित महिला योग साधकों को महिला दिवस की भी शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि योग के साथ ध्यान-साधना भी जरूरी है। इसका सबसे बड़ा फायदा मस्तिष्क को नियंत्रित करने में मिलता है। इससे एकाग्रता की शक्ति बढ़ती है। योग से मानसिक व शारीरिक स्वास्थ्य में लाभ होता है। राज्यपाल ने इस संबंध मे स्वयं के अनुभव को साझा करते हुए बताया कि बचपन में टाॅन्सिल की समस्या होने पर उन्होंने जलनेति व अन्य यौगिक क्रियाएं की। इसके बाद उन्हें कभी ये समस्या नहीं हुई।
राज्यपाल ने कहा कि आज योग के माध्यम से भारतीय संस्कृति का पुनरूत्थान हो रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विशेष प्रयासों से “अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस” प्रारम्भ किया गया। योग को सहज व सरल रूप में देश-विदेश तक पहुंचाने में स्वामी रामदेव के योगदान से सभी परिचित हैं।
राज्यपाल ने 1 मार्च से 8 मार्च तक आयोजित अंतर्राष्ट्रीय योग महोत्सव की सफलता के लिए बधाई देते हुए कहा कि ऋषिकेश को विश्व की योग राजधानी कहा जाए तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। इस महोत्सव में प्रतिभागियों की संख्या लगातार बढ़ रही है।
वहीं पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि योग महोत्सव में देश-विदेश से रिकार्ड संख्या में योग साधकों का पंजीकरण हुआ है। इस बार के महोत्सव की दो विशेष बातें रही। पहला, 84 कुटिया में भी योग कार्यक्रम आयोजित किए गए। दूसरा, विश्व प्रसिद्ध बीटल्स बैंड के ऋषिकेश आगमन के 50 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में विशेष कार्यक्रम का आयोजन भी किया गया। इसमें ब्रिटेन के मशहूर फेब फोर बैंड द्वारा प्रस्तुति की गई।