नयी दिल्ली। भारतीय विज्ञापन मानक परिषद (एएससीआई) ने योगगुरू रामदेव की कंपनी पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड को उसके उत्पादों के भ्रामक विज्ञापन के लिए लताड़ लगाई है।
एएससीआई ने गुरूवार को जारी रिपोर्ट में कहा कि पतंजलि के केश कांति तेल एवं ङ्क्षक्लजर, सरसों तेल, वाङ्क्षशग पाउडर एवं टिकिया और बर्तन धोने वाले साबुन जैसे उत्पादों के विज्ञापन उपभोक्ताओं में भ्रम उत्पन्न करने वाले हैं और परिषद् के मानकों का भी उल्लंघन करते हैं। रिपोर्ट के अनुसार, केश कांति के विज्ञापन में दावा किया गया है कि खनिज तेल के इस्तेमाल से कैंसर का खतरा बढ़ जाता है, जो गलत और भ्रामक है।
वहीं, उसके कच्ची घानी सरसों तेल के प्रचार में कहा गया है कि उसकी कच्ची घानी प्रक्रिया के अलावा अधिकांश रिफाइन खाद्य एवं सरसों तेलों में न्यूरोटॉक्सिन हेक्साजोन का इस्तेमाल किया जाता है। साथ ग्राहकों के स्वास्थ्य को नजरअंदाज करते हुये लाभ कमाने के लिए कई कंपनियाँ सरसों तेल में सस्ते पाम ऑयल मिलाती हैं। उसका यह दावा दूसरी कंपनियों को नीचा दिखाने का प्रयास है।
पतंजलि के हर्बल वाशिंग पावडर, टिकिया एवं बर्तन धोनेवाले साबुन के गुजराती विज्ञापन के अंग्रेजी संस्करण में ‘लाखों गृहणियों की पसंद पतंजलि डिशवॉश बार का दावा सही नहीं है। वहीं, इनमें इस्तेमाल होने वाले घटक के आयुर्वेदिक होने का दावा भी गलत है। दूसरी कंपनियों के ऐसे उत्पादों में केमिकल का प्रयोग किये जाने की बात भी भ्रामक है।