हरिद्वार। धर्मनगरी में भिक्षावृत्ति धंधे की शक्ल लेता जा रहा है, कमाई इतनी कि छोटे मोटे उद्योगपति भी पीछे रह जाएं। हरिद्वार के हरकी पैड़ी में रोज़ाना हज़ारों भिखारी अपनी जेबें भरते नज़र आते हैं। हरकी पैड़ी ही क्या शहर के लगभग हर बड़े मंदिर के बाहर इनका तांता लगा रहता है। यहाँ एक भिखारी आम दिनों में औसतन एक हज़ार रुपये कमाता है। यानि तीस हज़ार रुपये महीना। त्योहारों और धार्मिक मेलों के दौरान तो यह आंकड़ा और भी बढ़ जाता है। यहाँ कई भिखारी ऐसे भी हैं जो दशकों से भिक्षावृत्ति कर रहे हैं और जिनकी माली हालत भी ठीकठाक है। लेकिन भीख से हो रही आय के चलते ये भिक्षुक कुछ और करना नहीं चाहते। और चाहेंगे भी क्यों जब भिक्षावृत्ति से ही अच्छी ख़ासी कमाई हो जाए। दरअसल माँगने को मजबूर दिखने वाले इन भिखारियों का सालाना टर्नओवर लाखों में नहीं बल्कि करोड़ों में है। वाकई ये आंकड़े किसी को भी हैरान कर देंगे।
धर्मनगरी के भिखारियों का सालाना टर्नओवर- औसतन 50 करोड़ रुपये
आम दिनों में-1000 रुपये के औसत से भिक्षा मांगते हैं, तो वहीं विशेष पर्वो के दौरान- 1500 रुपये प्रतिदिन मांगते हैं, 1000 के औसत से मासिक 30 हज़ार रुपये, यानि कि सालाना 3 लाख 60 हज़ार रुपये, शहर भर के 1500 भिखारियों की तादाद मान ली जाय तो भिखारीयों का सालाना टर्नओवर 54 करोड़ रुपये होता है।