देहरादून। वर्ष 2013 में जल प्रलय के बीच भी खड़े रहने वाले केदारनाथ मंदिर की नींव अब कमजोर हो गई है। ये तथ्य आईआईटी चेन्नई के सर्वेक्षण में सामने आया है। आईआईटी चेन्नई की एक रिपोर्ट के मुताबित केदारनाथ मंदिर की एक दीवार भी सूक्ष्म रूप से झुक गई है। इसके साथ ही मंडप की छत भी कमजोर हो गई है।
आईआईटी चेन्नई ने अपनी ये रिपोर्ट भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को सौप दी है और अब इस रिपोर्ट के सुझावों पर का भी शुरू हो गया है। इसी के तहत मंदिर की नींव को और अधिक नुकसान से बचाने के लिए मंदिर के फर्श को जलरोधी बनाने का काम शुरु हो गया है। इसके लिए मंदिर के फर्श के पत्थरों को विशेष तरीके से जलरोधी बनाया जा रहा है। इस काम में रेत, सुर्खी के साथ साथ उड़द की दाल, गुड़ और बेल गिरी का मसाला इस्तमाल किया जा रहा है। इस तरह से ट्रीटमेंट होने के बाद माना जा रहा है कि फर्श न सिर्फ वॉटक प्रूफ हो जाएगा बल्कि नींव को होने वाला नुकसान भी कम हो जाएगा। रिपोर्ट में मंदिर परिसर के अगले हिस्से की एक दीवार के सूक्ष्म रूप से झुकने का जिक्र भी है। वहीं मंदिर के दक्षिणी हिस्से में पत्थरों के बीच की दूरी भी बढ़ रही है। सभा मंडप की छत के पत्थरों को उखड़ने से रोकने के लिए फिलहाल लकड़ी का सहारा दिया गया है लेकिन जल्द ही इसका कोई अन्य उपचार किया जाएगा। हालांकि इस सबके बीच अच्छी खबर ये है कि मंदिर का गर्भ गृह बेहद सुरक्षित स्थिती में है।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण मंदिर के जीर्णोद्धार के काम में तेजी से लगा है। मंदिर के फर्श को जलरोधी बनाने के साथ साथ मंदिर को आकाशीय बिजली से बचाने के लिए भी प्रबंध किए जा रहे हैं। इसके लिए मंदिर के ऊपर तांबे का एक तड़ित चालक लगाया जाएगा।