रुद्रपुर- एक ओर जहां उत्तराखंड की भाजपा सरकार जीरो टॉलरेंस की बात करती हैं तो वहीं दूसरी ओर अधिकारी खुलेआम इसकी धज्जिया उड़ा रहे हैं. लेकिन शायद सरकार इससे बेखबर है. धरातल पर इसकी सच्चाई कुछ और ही है.. जी हां रुद्रपुर का एक मामला सामने आया है, रुद्रपुर के खण्ड विकास अधिकारी ने 15 मार्च 2018 को एक ऐसे व्यक्ति का बीपीएल प्रमाण पत्र जारी कर दिया जिसकी मृत्यु 17 अगस्त 2014 को ही हो चुकी है.
महानुभाव खण्ड विकास अधिकारी जिन्होंने मृत्यु के बाद बी पी एल प्रमाण पत्र जारी कर दिया जिसको जारी करने के लिए व्यक्ति को खुद मौजूद रहना पड़ता है और जब इन महानुभाव से पूछा गया तो पहले तो बड़ी देर तक टाल-मटोल करते रहे फिर अपने सहायक अधिकारी को बुलाने के लिए सन्देश भेजा और आधे घंटे तक तक उसकी राह देखते रहे. सहायक खण्डविकास अधिकारी जब नही आये तो जनाब खुद ही उनको ढूंढने चल पड़े जब इनके हाथ निराशा के सिवा कुछ नहीं लगा तो इन्होंने शासन की खामियां गिना डाली।
एक बुजुर्ग अपने ही जीवित रहने का सबूत चीख-चीख कर दे रहा
वहीं रुद्रपुर के कलेक्ट्रेट परिसर में एक बुजुर्ग अपने ही जीवित रहने का सबूत चीख चीख कर दे रहा है लेकिन उसको कागजों में उसको मृतघोषित कर दिया गया है, और कुछ भूमाफिया लोगों ने उसकी 8 एकड़ जमीन अपनेकब्जे में ले लिया है, ये आरोप हम नहीं बल्कि खुद बुजुर्ग ने लगाए है.
जिलाधिकारी ने भी कटाए चक्कर पर चक्कर
बुजुर्ग ने हमारे संवाददाता को बताया कि इस पूरे मामले में उक्त भूमाफिया लोगों ने पहले भी दो हत्यायें कर दी हैं और मैं बमुश्किल अपनी जान बचा बचाकर कभी अपर जिलाधिकारी तो कभी जिलाधिकारी ने कार्यालयों के चक्कर लगारहा हूँ. बुजुर्ग ने अधिकारियों पर भी आरोप लगाए की जब वो अपर जिलाधिकारी के पास जाते हैं तो वो जिलाधिकारी कार्यालय जाने को कह देते हैं और जब जिलाधिकारी कार्यालय जाते हैं तो वहाँ से उनको अपर जिलाधिकारी कार्यालय जाने को कहे दिया जाता हैं।
वहीं जब अधिकारियों से इस बारे में जानने की कोशिश की गई तो अधिकारियों ने शासन को ही जिम्मेदार बताया.