काशीपुर(सोनू जैन) – शाम को साहब लोगों का फोन आता है, उन्हें अंदर बुलाया जाता है और उसके बाद उन्हें ऐसा फरमान सुनाया जाता कि उनके पैरों तले जमीन खिसक जाती है। दिल दहल जाता है और दिलो दिमाग पर छा जाती है आने वाले कल की तकलीफें।
जी हां, काशीपुर की मुरादाबाद रोड़ स्थित टेक्नो इलैक्ट्रोनिक्स लिमिटेड जिसे वीडियोकॉन फैक्ट्री भी कहा जाता है वहां के कामगारों की हालत ऐसी हो गई है। लिहाजा फैक्ट्री प्रबंधन से नाराज श्रमिकों ने आज कारखाने के भीतर हो रहे श्रम कानून की फजीहत के खिलाफ फैक्ट्री के बाहर हड़ताल कर जमकर हंगामा काटा।
फैक्ट्री में काम करने वाले कामगारों की माने तो फैक्ट्री में श्रम कानूनों की कोई अहमियत नहीं है। प्रबंधन ने तीन महीने से पगार नहीं दी है और धीरे-धीरे एक- एक कर्मचारी को फैक्ट्री से निकाला जा रहा है। प्रबंधन शाम को एक-एक कामगारों को फोन कर बुलाता है और सुबह कारखाने में न आने का फरमान सुना देता है। प्रबंधन के इस रवैए से खफा कामगारों ने हड़ताली रुख अख्तियार करते हुए अपनी मांगों की हिमायत करते हुए फैक्ट्री प्रबंधन के खिलाफ जम कर नारे बाजी की।
मामले को तूल पकड़ता देख जहां कई मजदूर संगठनों के जुड़े सियासी दल पहुंचे वहीं कुंडा थाने की पुलिस भी हरकत मे आई। खबर मिलते ही जसपुर विधायक आदेश चौहान भी पहुंचे। श्रमिकों और प्रबंधन के बीच सुबह से शाम तक कई दौर की वार्ता चली लेकिन खबर लिखे जाने तक मामला नहीं सुलट पाया।
श्रमिकों की मांग है कि फैक्ट्री में सभी श्रम कानूनों का पालन हो। निकाले गए मुलाजिमों को बिना शर्त नौकरी पर रखा जाए। उनकी तीन-महीने की पगार दी जाए। प्रतिमाह पीएफ कि रसीद दी जाए और फोन कर सुबह न आने का सिलसिला तत्काल प्रभाव से बंद किया जाए। 240 से अधिक दिन काम करने वालों को स्थायी किया जाए हर माह की सात तारीख तक वेतन दिया जाए और महंगाई के इस दौर में हर साल 15 से 20 फीसद पगार में इजाफा किया जाए।
श्रमिकों का कहना है कि तीन-चार महीने से पगार न मिलने के चलते परिवार के सामने फाकाकशी का दौर शुरू हो गया है। श्रमकानूनों की धज्जियां उड़ रही हैं शिकायत है बावजूद इसके प्रशासन के कानों में जूं तक नहीं रेंगती। हालांकि श्रमिकों की चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगों पर अमल नहीं किया गया तो हड़ताल यूं ही जारी रहेगी।
बहरहाल बड़ा सवाल ये है कि आखिर अपने पसीने से मामूली कारोबारी को मिल मालिक बनने वाले मेहनतकश मजदूरों के इस देश में अच्छे दिन कब आएंगे। आखिर श्रम कानून का कड़ाई से पालन कब होगा ताकि उस तबके का परिवार महफूज रहे जिसकी मेहनत के दम से किसी को मालिक बनने का रुतबा नसीब होता है।