दुनियाभर में अलग-अलग धर्म के लोग रहते है लेकिन क्या कभी आपने मंदिर और मस्जिद की बनावट पर गौर किया है? आपने देखा होगा हर मंदिर-मस्जिद या गुरुद्वारे के भवनमें उपर गुम्बदनुमा आकृति होती है यहीं मंदिर-मस्जिद और गरुद्वारे के भवन की बनावट सभी धर्मो को एक दूसरे से जोड़ती है. गुरूद्वारा, चर्च चाहे कितने भी अलग क्यों न बने हो, लेकिन उनके ऊपर की छत गुंबदनुमा बनी होती है. असल में इसके पीछे एक कारण होता है, जिसका संबंध आपकी प्रार्थना से होता है.
प्रार्थना से जुड़ा है गुबंदनुमा धार्मिक स्थलों का रहस्य
आकाश के नीचे बैठकर जब हम प्रभु के सामने प्रार्थना करते हैं, तो उससे उपन्न तरंगे ब्रह्मांड में कही खो जाती है और वह वापस भी नहीं आती. हम जो पुकार करते हैं वह पुकार हम तक वापस लौट नहीं पाती. हमारी पुकार हम तक लौट सके, इसलिए इन धार्मिक स्थलों का आकार गुंबद की तरह निर्मित किया गया. यह ठीक छोटे आकाश की तरह है जैसे आकाश पृथ्वी को चारों तरफ से छूती है उसी तरह मंदिर, मस्जिद और चर्चों में छोटा आकाश निर्मित किया जाता है. उसके नीचे आप जो भी प्रार्थना और मंत्रोच्चार करेंगे गुंबद उसे वापस लौटा देगा.
गुबंद में गूंजती हैं तरंगें
आपकी प्रार्थना स्वीकार हो इसलिए पूरे विश्वास और मन के साथ आप अपने प्रभु की उपासना करते हैं. आप जैसे सोचते और महसूस करते हैं वैसी ही तस्वीर आपके चेतन मन में बनती है इसलिए जब आप सोचते हैं तो यही तस्वीर आवृत्ति तरंगों के रूप में चारों ओर ब्रह्मांड में फैल जाती है.
यही चीज जब आप गुंबद के नीचे करते हैं अर्थात पूरे मन के साथ अपने प्रभु का जाप करते हैं तो उससे निकली तरंगे पूरे गुंबद में गूंजती है. मंदिर का गुंबद आपकी गूंजी हुई ध्वनि को आप तक लौटा कर एक सर्किल निर्मित करवा देता हैं. उस वर्तुल का आनंद ही अद्भुत है. अगर आप खुले आकाश के नीचे जाप करेंगे, तो वर्तुल निर्मित नहीं होगा और भगवान को की गई आपकी प्रार्थना ब्रह्मांड में चली जाएगी.